देश में खाद्यान सुरक्षा का गहराता संकट

भारत में भी 32 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने को मजबूर हैं। 47 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं।

0
974

 

आज विश्व खाद्य दिवस है, लगभग बत्तीस सालों से यह दिवस मनाया जा रहा है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद एंव कृषि संगठन की स्थापना दिवस को विश्व खादिवद्य के रूप में मनाया जाने लगा। इसका उद्देश्य है कि समूचे विश्व में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।किंतु इतना लंबा समय गुज़र जाने के बावजूद आज भी दुनिया खाद्य संकट से जूझ रही है।  ख़ासतौर पर अफ़्रीका महाद्वीप के रवांडा, बुरुंडी, नाइजीरिया, सेनेगल, सोमालिया और इरीट्रिया आदि देशों के हालत तो बहुत ही भयानक स्थिति में हैं।

भारत में भी 32 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने को मजबूर हैं। 47 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं।

अब प्रश्न यह उठता है कि क्या वास्तव में भारत में इतनी खाद्यान की कमी है? वास्तविकता यह है कि भारत में खाद्यान्न की कमी कोई ख़ास मुद्दा नहीं है, बल्कि सार्वजनिक आपूर्ति प्रणाली और खाद्यान्न भंडारण की समस्या असली समस्या है। भारत में लाखों टन अनाज खुले में सड़ रहा है। यह सब ऐसे समय हो रहा है।

1979 में ‘खाद्यान्न बचाओ’ कार्यक्रम शुरू किया गया था। इसके तहत किसानों में जागरूकता पैदा करने और उन्हें सस्ते दामों पर भंडारण के लिए टंकियाँ उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन इसके बावजूद आज भी लाखों टन अनाज बर्बाद होता है।  सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग 58,000 करोड़ रुपये का खाद्यान्न भंडारण आदि तकनीकी के अभाव में नष्ट हो जाता है। भूखी जनसंख्या इन खाद्यान्नों पर ताक लगाए बैठी रह जाती है।

दूसरी ओर हमारे देश में विवाह समारोह, पारिवारिक कार्यक्रमों में बेहिसाब खाने की बर्बादी होती है। एक शोध अध्ययन से यह ज्ञात होता है कि केवल अकेले बंगलूरू शहर में शादियों में करीब 950 टन खाद बर्बाद हुआ। केबल समस्या खाना बर्बाद होने की ही नहीं है बल्कि भारत में होने वाले विवाह कार्यक्रमों में आवश्यकता से अधिक कैलोरी का खाना बनता है जिससे भी खाद समस्या उत्पन्न होती है और देश की 20 लाख जनता भूखे पेट सोने पर मजबूर होती है।

विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय खाद्य निगम का मानना है कि जितना अनाज भारत में हर वर्ष सड़ता है उतने अनाज से प्रति वर्ष सवा करोड़  लोगों की भूख मिटायी जा सकती है यानि के देश में खाद्द का कोई संकट नहीं बल्कि उसका सही रुप से वितरण नहीं हो पाता।

ऐसे में केवल औपचारिकता के तौर पर खाद्य दिवस मना लेने से समस्या का हल नहीं निकल जाएगा बल्कि समस्या को दूर करने के लिए कदम भी उठाने होंगे, खाद की पर्याप्त मात्रा सभी लोगों को मिलना प्रत्येक देशवासी का अधिकार है किंतु वर्तमान समय में दौलत के असमान वितरण ने समाज के एक वर्ग से उनका यह अधिकार छिन लिया है। इसलिए खाने की बर्बादी को रोकने के लिए लोगों को जागरुक करने की आवश्यकता है। दूसरी ओर सरकार का कर्तव्य है कि वह खादान भंडारण की उचित व्यवस्था करे। कुछ समय पूर्व खाद्यान सुरक्षा बिल लाया गया लेकिन केवल बिल के पास हो जाने से सफलता नहीं मिल जाती यह हम सभी भली भांति जानते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here