ह्यूमन हंगर इंडेक्स ! हँगामा है क्यूँ बरपा ?

इस रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में भारत उत्तर कोरिया, बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार जैसे देशों से भी पीछे है

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Courtsey

नोटबंदी और GST के बाद डगमगाई अर्थव्यवस्था के बीच देश में एक ओर जहाँ विकास के रोज नये नये दावे किये जा रहें हैं वंही दूसरी ओर हाल ही में आयी ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट 2017 ने विकास के इन दावों की पोल खोल दी है। कंहीं ऐसा तो नहीं कि देश विकास के पायदान पर ऊपर चढ़ने की जग़ह नीचे जा रहा हो । ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट-2017 देख कर तो यही लग रहा है क्योंकि 119 देशों के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत तीन स्थान नीचे खिसककर 100 स्थान पर पहुंच गया है। पिछले साल भारत इस सूचकांक में 97वें स्थान पर था।

इस रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में भारत उत्तर कोरिया, बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार जैसे देशों से भी पीछे है, लेकिन देश वासियों के लिये थोड़े संतोष की बात सिर्फ ये हो सकती है कि भारत सिर्फ पाकिस्तान से आगे है।

इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (IFPRI) का अपनी रिपोर्ट में कहना है कि बच्चों में कुपोषण की उच्च दर से देश में भूख का स्तर गंभीर है। सामाजिक क्षेत्र को इसके प्रति मजबूत प्रतिबद्धता दिखाने की जरूरत है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत 119 देशों में 100वें स्थान पर है और समूचे एशिया में सिर्फ अफगानिस्तान और पाकिस्तान ही उससे पीछे हैं। सूचकांक में चीन की रैंकिंग 29, नेपाल 72, म्यांमार 77, श्रीलंका 84 और बांग्लादेश 88 स्थान पर हैं।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स अलग-अलग देशों में लोगों को खाने की चीज़ें कैसी और कितनी मिलती हैं उसे दिखाने का एक सूचकांक है| ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ हर साल नये आंकड़ों के साथ जारी किया जाता है। इसके ज़रिए विश्व भर में भूख के ख़िलाफ़ चल रहे अभियान की उपलब्धियों और नाकामियों को दर्शाया जाता है।

‘ग्लोबल इंडेक्स स्कोर’ ज़्यादा होने का मतलब है उस देश में भूख की समस्या अधिक है। उसी तरह किसी देश का स्कोर अगर कम होता है तो उसका मतलब है कि वहाँ स्थिति बेहतर है।

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