नई दिल्ली | जमाअत इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्ला हुसैनी ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध का विरोध करते हुए इसे अलोकतांत्रिक और भेदभावपूर्ण बताया है।
मीडिया को दिए एक बयान में जमाअत ए इस्लामी अध्यक्ष ने कहा, “जमाअत इस्लामी हिंद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उससे संबद्ध संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले पर असहमति व्यक्त करता है. किसी संगठन पर प्रतिबंध लगाना न तो कोई समाधान है और न ही यह लोकतांत्रिक समाज को शोभा देता है।”
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसके आठ सहयोगी संगठनों पर पांच साल की अवधि के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), ऑल इंडिया इमाम्स काउंसिल (AIIC), नेशनल कन्फिडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO), नेशनल वीमन्स फ्रंट (NWF), जूनियर फ्रंट (JF), एम्पावर इंडिया फाउंडेशन (EIF) और रिहैब फाउंडेशन (केरल) प्रतिबंधित किया गया है।
गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि, “ये संगठन कानून विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं, जो देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के खिलाफ है और जिससे शांति तथा सांप्रदायिक सद्भाव का माहौल खराब होने और देश में उग्रवाद को बढ़ावा मिलने की आशंका है।”
जमाअत इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्ला हुसैनी ने मीडिया को जारी अपने बयान में कहा है कि, “संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की संस्कृति अपने आप में संविधान द्वारा संरक्षित मौलिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है और लोकतांत्रिक भावना और बुनियादी नागरिक स्वतंत्रता के खिलाफ है। लोगों का इन संगठनों, उनकी नीतियों और बयानबाज़ी से मतभेद हो सकता है।”
जमाअत इस्लामी हिन्द ने कहा, “हमने हमेशा कई मामलों में उनका विरोध किया है, लेकिन यह किसी संगठन पर प्रतिबंध लगाने और उसके कैडर को परेशान करने का कारण नहीं हो सकता।”
जमाअत इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्ला हुसैनी ने अपने बयान में कहा कि, “देश में कानून व्यवस्था बनाए रखना पुलिस और प्रशासन का कर्तव्य है। यदि कोई व्यक्ति कानून तोड़ता है या कोई अपराध करता है तो उस व्यक्ति पर मुकदमा चलाया जा सकता है और कानून के प्रावधानों के अनुसार निपटा जा सकता है। अदालतें उन पर लगे आरोपों के बारे में फैसला करेंगी, जहां उन लोगों को भी अपनी बेगुनाही साबित करने का मौका मिलेगा। हालांकि, निराधार एक पूरे संगठन पर प्रतिबंध लगाना अनुचित और अलोकतांत्रिक है।”
उन्होंने कहा कि, “हाल ही में, हमने कई फ्रिंज और कट्टरपंथी समूहों को खुले तौर पर नफरत फैलाने और हिंसा का आह्वान करते हुए देखा है। ये समूह बेखौफ होकर काम कर रहे हैं और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसलिए, प्रतिबंध चयनात्मक, भेदभावपूर्ण और पक्षपातपूर्ण प्रतीत होता है।