देश कि प्रतिष्ठित सामाजिक संगठन जमाअत इस्लामी हिंद ने आगामी संसदीय चुनावों को केन्द्रित करते हुए एक ‘जन घोषणापत्र’ जारी किया है। ये घोषणापत्र बुधवार को प्रेस क्लब ऑफ़ इण्डिया में जमाअत इस्लामी हिन्द के केन्द्रीय पदाधिकारियों के द्वारा मीडिया के समक्ष जारी किया गया.
प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए जमाअत के अध्यक्ष मौलाना जलालुद्दीन उमरी ने पत्रकारों को बताया कि जमाअत विभिन्न राजनीतिक दलों और महत्वपूर्ण व्यक्तियों तक पहुंच कर इस ‘जन घोषणापत्र’ को ‘चार्टर ऑफ डिमांड्स ’के रूप में पेश करेगी और उनके चुनावी घोषणा पत्र में इन मांगों को शामिल करने का आग्रह करेगी। उन्होंने कहा कि जमाअत ने हमेशा से मूल्य आधारित राजनीति का समर्थन किया है तथा न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के माध्यम से लोकतंत्र की भावना के साथ कल्याणकारी राज्य के विचार को बढ़ावा देने को सुनिश्चित किया है।
जमाअत इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय महासचिव इं0 मोहम्मद सलीम ने ‘जन घोषणापत्र’ में शामिल मांगों की व्याख्या करते हुए पत्रकारों को बताया कि मानव अधिकारों की सुरक्षा और सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए हमने अपने घोषणापत्र में उन सभी बिन्दुओं को दर्शाया है जिसे हर उन राजनीतिक दल के एजेंडे में शामिल किया जाना चाहिए जो लोगों के कल्याण और प्रगति के लिए प्रतिबद्ध हो। उन्होंने आगे कहा कि हमारी ये मांग है कि सभी नागरिकों के लिए बुनियादी अवाश्यक्ताएँ सुनिश्चित हो जिसमें स्वच्छ हवा,पानी, भोजन, कपड़े, घर, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा, स्वच्छ पर्यावरण और गरिमामय जीवन आदि शामिल हों।
इस ‘जन घोषणापत्र’ में उठाए गए महत्वपूर्ण मुद्दे-
- अन्याय, आक्रामकता, भीड़ द्वारा हिंसा, राज्य आधारित हिंसा और सांप्रदायिक पूर्वाग्रह के विरुद्ध सभी नागरिकों विशेष रूप से कमज़ोर वर्गों (जैसे गरीब, महिला, मुस्लिम और वंचित वर्ग) की सुरक्षा।
- मुस्लिम पर्सनल लॉ पर गुमराह करने वाले तत्वों के हमले बढ़ रहे हैं। मुसलमानों की धार्मिक व सांस्कृतिक पहचान और उनके सांस्कृतिक अधिकारों को निशाना बनाया जा रहा है। इस संबंध में एक संवैधानिक ढांचे के भीतर मुसलमानों की सुरक्षा के लिए विशिष्ट उपाय किए जाने चाहिए।
- सीमांत क्षेत्रों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, मुसलमानों, ग्रामीण आबादी और वंचित वर्गों पर विशेष ध्यान देने के साथ सभी क्षेत्रों और वर्गों का व्यापक विकास।
- अल्पसंख्यकों के धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक अधिकारों तथा विभिन्न भाषाई समूह और सांस्कृतिक पहचान का संरक्षण। इसका तात्पर्य पर्सनल लॉ, पूजा स्थलों और अन्य धार्मिक स्थानों की सुरक्षा से है।
- भारतीय मुसलमान बहुत वंचित हैं इसलिए ये आवश्यक है कि उन्हें आरक्षण प्रदान किया जाए। इसलिए रंगनाथ मिश्रा समिति की रिपोर्ट को लागू किया जाना चाहिए। शिक्षा और नौकरियों में सभी अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। ऐसे आरक्षित पदों में दो तिहाई मुसलमानों के लिए चिह्नित किया जाना चाहिए।
- राष्ट्रीय पुलिस आयोग द्वारा की गई सिफारिशों का पालन किया जाना चाहिए। पुलिस रिफ़ॉर्म के लिए व्यापक उपाय किए जाने चाहिए। अल्पसंख्यकों को 25 फीसदी आरक्षण मिले। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा पुलिस के बारे में की गई सिफारिशें भी लागू की जानी चाहिए।
- सच्चर समिति की सिफारिशों को मूल भावना सहित लागू किया जाना चाहिए। कल्याणकारी योजनाओं में ‘मुस्लिम कम्पोनेंट प्लान’को शामिल किया जाना चाहिए।
- प्रत्येक समुदाय की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने की आवश्यकता है। राज्य प्रशासन और राजनीतिक प्रतिष्ठान को सार्वभौमिक नैतिक मूल्यों का पालन करना चाहिए। उनकी ओर से ऐसा रवैया शासन तंत्र में लोगों के विश्वास को बहाल करेगा। यह लोगों के साथ अधिक से अधिक सहयोग की ओर ले जाएगा।
- ब्याज मुक्त बैंकिंग को बैंकिंग क्षेत्र में पहचान कराया जाना चाहिए। डॉ० रघुराम राजन ने योजना आयोग की उपसमिति का नेतृत्व किया था, जिसने वित्तीय क्षेत्र में सुधारों पर बहस की थी। इसकी सिफारिशों के अनुसार, ब्याज मुक्त बैंकिंग गतिविधि (लाभ के बंटवारे के आधार पर) को अनुमति दी जानी चाहिए।
जमाअत इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष नुसरत अली ने कहा कि जमाअत मतदाताओं के साथ-साथ राजनीतिक दलों को भी ये घोषणापत्र बड़ी उम्मीदों के साथ पेश करती है। ये दस्तावेज़ लोगों की वास्तविक भावनाओं को दर्शाता है और राजनीतिक दलों को और बेहतर शासन सुनिश्चित करने के लिए आमंत्रित करता है। जमाअत खुद चुनाव नहीं लड़ती है लेकिन इस के महत्व को देखते हुए यह लोगों को और जन प्रतिनिधियों को उनकी महत्वपूर्ण भूमिका याद दिलाती है।
रिपोर्ट साभार: इंडिया टुमॉरो