आखिर क्यों जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय के छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं.?

देश की राजधानी दिल्ली में स्थित विख्यात विश्विद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र पिछले 15 दिनों से धरना और भूख हड़ताल पर हैं. इनकी समस्याओं और मांगों पर बात कर रहे हैं अज़हर अन्सार

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ये मामला जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्विद्यालय के BE अथार्त बेचलर ऑफ़ ईंजीनिअरिंग के 1400 छात्रों के भविष्य से सम्बंधित हैं. ये BE का कोर्स एक पार्ट टाइम कोर्स है जो किसी भी प्रकार की सरकारी या गैर सरकारी नोकरी पाने के लिए अमान्य है. इस कोर्स के पार्ट टाइम होने का उल्लेख जामिया ने अपने प्रॉस्पेक्टस या किसी भी प्रकार के अधिकारिक कागजों में नहीं किया है. लेकिन इस कोर्स से पास आउट पूर्व विधार्थी को जब पिछले वर्ष एक संस्थान ने नोकरी के लिए अयोग्य बता दिया तो वर्तमान में इस कोर्स में शिक्षा प्राप्त कर रहे 1400 छात्रों की मुश्किलें बढ़ गई.

सबसे पहले इन छात्रों ने अपनी इस समस्या की जानकारी अपने डिपार्टमेंट में दी और इस कोर्स को एक फुल टाइम कोर्स बनाने की अर्जी भी दी. इस प्रकार के कोर्सेज़ को फुल टाइम बनाने की स्वीकृति संस्थान को सरकारी संस्था ए.आई.सी.टी.ई. (आल इंडिया कौंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन AICTE) से लेनी पड़ती है. जो मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के या न्यायालय के आदेश पर स्वीकृति देता है. लेकिन छात्रों द्वारा दी गई अर्जी पर जामिया प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया. छात्र जब संकाय के अध्यक्ष के पास दोबारा इस बात की जानकारी लेने पहुंचे तो उन्हें जवाब मिला कि  “आप नेता नहीं है जो हम आपकी अर्जी पर होने वाली कार्यवाही की जानकारी आपको दें. जाइए पर्तीक्षा कीजिए जब कुछ होगा तो बता देंगे.” बेचारे छात्र वापस आ गए और फिर आपस में निर्णय कर जामिया को ये अल्टीमेटम दिया की अगर जामिया इस कोर्स को फुल टाइम बनाने की स्वीकृति ए.आई.सी.टी.ई. से नहीं लाया तो वें धरने तथा भूख हड़ताल पर बैठ जायेंगे. लेकिन अफ़सोस तब भी जामिया प्रशासन के कानो पर जूं नहीं रेंगती है.

आखिर ये छात्र 20 जुलाई से क्लासेज़ जाना बंद कर देते हैं और 23 जुलाई से धरने व भूख हड़ताल पर बैठ जाते हैं. भूख हड़ताल के चार पांच दिन गुजरने के बाद कुछ छात्रों की तबियत बिगड़ जाती है उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ता है. फिर जब ये मामला मीडिया में आता है तो जामिया प्रशासन चेतता है और इन छात्रों की मांगो को सुनने पर राज़ी हो जाता है. जामिया इनकी समस्या को सुनता तो है लेकिन अपनी गलती नहीं मानता. फिर जब छात्र अपनी मांगो पर तठस्थ रहते हैं तो जामिया प्रशासन इस मामले को देखने के लिए एक कमेटी बना देता है. इस कमेटी ने इस मामले को लेकर क्या कार्यवाही की है इसको लेकर भी छात्र असमंजस की स्थिति में हैं. ऊपर से जामिया प्रशासन प्रदर्शन को बंद कराने के लिए चार छात्रों शाहज़ेब जमाल, इमरान कुरैशी,जुबैर अहमद और इज़हार हुसैन को कारण बताओ नोटिस भी जारी कर देता है. लेकिन छात्रों ने अपना प्रदर्शन बंद नहीं किया है. जामिया ने इन्हें आश्वासन दिया है कि वह मंगलवार को BE को एक फुल टाइम कोर्स बनाने के लिए कोर्ट में पेटीशन दाख़िल करेगा. लेकिन जामिया अपनी पेटीशन में क्या लिखने वाला है छात्र इसको लेकर भी शंका में है. फ़िलहाल ये मंगलवार की पर्तीक्षा कर रहें हैं. लेकिन इनका कहना है कि जब तक इस कोर्स को फुल टाइम बनाने का फ़ैसला नहीं आ जाता ये क्लासेज़ नहीं जाएंगे और प्रदर्शन जारी रखेंगे.

आखिर ये छात्र चार साल एक ऐसी डीग्री के लिए क्यूँ पैसा खर्च करे जिसके आधार पर वें कोई भी नोकरी पाने के लिए अयोग्य हों.?

एडमिशन के समय कोर्स के पार्ट टाइम होने का उल्लेख न किये जाने का खामियाज़ा छात्र क्यूँ उठाएं.?

अगर जामिया प्रसाशन इस मामले को लेकर सोया ही रहा तो इन 1400 छात्रों के अपूर्वानुमेय भविष्य का ज़िम्मेदार कौन होगा.?

इन छात्रों के मामले को लेकर कई प्रश्न उभर कर सामने आते हैं जिनका उत्तर जामिया प्रशासन के पास नहीं है.

 

इसी मामले से सम्बंधित छात्र विमर्श का फेसबुक लाइव देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक का प्रयोग करें.

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1773585189425705&id=319625404821698

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