सफुरा समेत जामिया के छात्रों की गिरफ्तारी के विरोध में फिर सड़कों पर उतरा कोटा शाहीन बाग

कोटा के सामाजिक कार्यकर्ता ख़ालिद ख़ान ने कहा, “महिलाएं सोशल डिस्टेनसिंग का पालन करते हुए गिरफ्तार लोगों की रिहाई की मांग कर रही हैं जिन्हें संविधान में दिए गए प्रोटेस्ट के अधिकार का इस्तेमाल करने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया है.”

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“कोटा कलेक्ट्रेट में मानवाधिकार आयोग के चैयरमेन के नाम दिए गए ज्ञापन में CAA विरोधी प्रदर्शन में गिरफ्तार हुए छात्र, युवा और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित जामिया की रिसर्च छात्रा सफूरा ज़रगर जो गर्भवती हैं को रिहा करने की मांग की गई है.”

कोटा शाहीन बाग़ की मुख्य आयोजक शिफ़ा ख़ालिद
शिफ़ा ने कहा कि, “ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक रिसर्च छात्रा जो गर्भवती भी है उसे संविधान की रक्षा में किए गए प्रदर्शन में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया है. कोटा शाहीन बाग़ की हम सभी महिलाएं सफू़रा ज़रगर की रिहाई के लिए आवाज़ उठा रहे हैं और सरकार से उनकी जल्द रिहाई की अपील करते हैं.

सफूरा की गिरफ्तारी के बाद दुनियाभर की मानवाधिकार संस्थाओं ने सरकार के इस क़दम की आलोचना की है और सफूरा की रिहाई की मांग की है.

हाल में अमेरिका के एक प्रमुख अधिवक्ता संगठन, अमेरिकन बार एसोसिएशन (एबीए) ने सफूरा ज़र्गर की गिरफ्तारी पर चिंता जताई है और इसे अंतर्राष्ट्रीय क़ानून मानवाधिकारों के नियमों के विरुद्ध बताया है.

जामिया मिलिया इस्लामिया में समाजशास्त्र की शोध छात्रा सफूरा ज़रगर को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान ज़ाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास एक सड़क को जाम करने के आरोप में 10 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में ज़मानत मिलने के बाद उन्हें यूएपीए के तहत 13 अप्रैल को फिर से दिल्ली दंगों की साज़िश के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया.

इसी प्रकार सामाजिक कार्यकर्ता खालिद सैफी जो यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के कन्वीनर हैं को प्रदर्शन करने के विरोध में गिरफ्तार कर लिया गया था और बाद में दंगों की साज़िश का आरोप लगा दिया गया.

यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के अनुसार, “खालिद सैफी को 26 फरवरी को खुरेजी खास से गिरफ्तार किया गया. वहां कोई दंगा नहीं हुआ था बल्कि पुलिस ने कार्रवाई की थी. खालिद सैफी हालात को संभालने में लगे थे. बाद में पुलिस ने उन्हें बुरी तरह प्रताड़ित किया और उन्हें व्हीलचेयर में कोर्ट ले गए. सैफी के खिलाफ 3 केस दर्ज किए गए.”

जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र आसिफ तनहा को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिल्ली हिंसा मामले में गिरफ्तार किया गया था. आसिफ को पहले जामिया हिंसा के मामले में क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया था बाद में आसिफ तन्हा पर UAPA के तहत कार्रवाई की गई है.

आसिफ तनहा के मामले में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की जांच पर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने कहा था कि केस डायरी देखने के बाद लगता है कि पुलिस की जांच एक तरफा है.

आसिफ तन्हां जामिया को-आर्डिनेशन कमेटी (JCC) का अहम सदस्य और स्टूडेंट इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन के एक्टिव मेंबर है.

कोटा के सामाजिक कार्यकर्ता ख़ालिद ख़ान ने कहा,

“महिलाएं सोशल डिस्टेनसिंग का पालन करते हुए गिरफ्तार लोगों की रिहाई की मांग कर रही हैं जिन्हें संविधान में दिए गए प्रोटेस्ट के अधिकार का इस्तेमाल करने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया है.”

ख़ालिद ने आगे कहा, “ये स्वयं में अजीब लगता है कि जिस क़ानून के तहत बड़े अपराधियों और आतंकियों को गिरफ़्तार किया जाता है उस क़ानून के तहत यूनिवर्सिटी के छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है.”

प्रदर्शन कर रही महिलाएं जामिया की छात्रा सफू़रा ज़रगर सहित खा़लिद सैफी, आसिफ इक़बाल तन्हा, मीरान हैदर व अन्य की रिहाई की मांग के नारे लगा रही थीं. इन प्रदर्शनकारियों में शिफा़ खा़लिद, शबनम फरहत, आरज़ू लईक़, शगुफ्ता अशफाक, निकहत तरन्नुम, साएरा बानो, शमीम बानो, नुसरत बानो आदि मुख्य रूप से शामिल रहीं.

(साभार-मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो)

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