एक बेहतर और प्रभावशाली शिक्षण व्यवस्था तंत्र सभी के लिए सुलभ, समान और गुणवत्तापूर्ण होना चाहिए। जबकि वर्तमान में ओबीसी मुद्दे द्वारा भारतीय शिक्षा प्रणाली में व्याप्त गहरे दोष निकलकर सामने आया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष लबीद शाफ़ी ने कहा कि देश की अग्रणी छात्र संस्था होने के नाते स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ इंडिया, न्याय और समानता के संवैधानिक मूल्यों के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
एसआईओ आरक्षण के पक्ष में अपने मौलिक कर्तव्यों के साथ फिर से खड़े हैं। संविधान के निर्माताओं ने सामाजिक-ऐतिहासिक दृष्टिकोण से हाशिए पर रह रहे लोगों के लिए सकारात्मक कार्रवाई के प्रावधान किए हैं। सामाजिक आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए आरक्षण कोटा एक बेहतर मानक है। इसलिए सरकार पर सभी नागरिकों को समान और सुलभ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलबद्ध कराने के लिए संवैधानिक तौर पर जिम्मेदार है। शिक्षा में समानता, विशेष रूप से पहुंच की समानता पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता है जबकि शिक्षा को सुलभ बनाने के लिए कई विशेष चर्चायें तो होती हैं, भले ही इस बारे में किसी को सही ढंग से संबोधित नहीं किया जाता हो। कई कारणों से विभिन्न समुदायों के हाशिए पर रहने के लिए मजबूर लोगों को देखते हुए और सामाजिक-ऐतिहासिक दूरियों को सही करने के लिए आरक्षण कोटा जैसे उपायों के माध्यम से मुख्यधारा की शिक्षा में समान पहुंच और एकीकरण सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
SIO का का मानना यह है कि विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए NEET और अन्य सभी केंद्रीय परीक्षाओं पर राज्य स्तर पर आयोजित प्रवेश योग्यता परीक्षण या किसी अन्य विकल्प का निर्णय संबंधित राज्य सरकारों पर छोड़ दिया जाना चाहिए। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर एक एकीकृत और मानक परीक्षण और मूल्यांकन ढांचे की आवश्यकता को विवादित नहीं किया जा सकता है, मूल्यांकन और मूल्यांकन करने का अधिकार संबंधित राज्य प्राधिकरणों को दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह भारतीय संघ और संविधान की संघीय प्रकृति के अनुरूप है
बिना किसी पूर्वाग्रह के सीटों के बटवारे को राज्य एवं देशव्यापी सभी आरक्षण कोटा को सुनिश्चित लागू किया जाय। वर्तमान में लागू आरक्षण के सभी श्रेणियों को बिना किसी वर्गिक पक्षपात के प्रत्येक राज्यों में साथ ही साथ पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए।
आगामी शैक्षणिक वर्ष में लगभग 10000 सीटों का लेग पूर्व की भांति आवंटित होना चाहिए। SIO इस आलोक में सर्वोच्च न्यायालय में पेटीशन दाखिल कर हस्तक्षेप करेगी।