सीरिया के सन्दर्भ में हिन्दुस्तानी लिब्र्ल्स का ‘फूल मार्च’ या FOOL MARCH

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डाक्टर उमैर अनस का सीरिया मामले पर भारतीय लिब्र्ल्स के रवय्ये का जायज़ा

कुछ मामले कभी कभी किसी आदमी, संगठन या आन्दोलन के लिए एक अख्लाकी चैलेंज बन जाते हैं. सीरिया का मसला भी दुनिया के बहुत से सोशलिस्ट और कमुनिस्ट लोगों व संगठनो के लिए एक अख्लाकी चेलेंज है. एक तरफ रूस और चीन है जिनसे उनकी अकीदत परस्ती का तआलुक है, दूसरी तरफ अरब मुल्कों की अवाम जो अपने सेक्युलर सोशलिस्ट  डिक्टेटर के खिलाफ खड़ी हो गयी थी. अरब मुल्कों के सोशलिस्ट संगठनों ने मुल्क शाम में अवामी अहतिजाज को अलकायदा और इस्लामी कट्टरपंथ से जोड़ने में देर नहीं की. वहीँ अमेरिका की मदद से उत्तरी ईराक और उत्तरी सीरिया में एक नया मुल्क बनाने के प्रोजेक्ट का समर्थन करने में भी देर नहीं की.

हिन्दुस्तान में भी कमुनिस्ट दोस्तों ने बशार अलअसद से वफादारी निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. लेकिन उन्होंने अख्लाकी बुजदिली का रास्ता चुना. वो बशार अलअसद को किसी भी तरह से ज़ालिम और कातिल मानने को तेयार नहीं है. अगर है तो Balancing Act के तहत जैसे कहते हैं कि सिर्फ  बशार अलअसद ही नहीं सऊदी अरबिया भी ज़िम्मेदार है. आप देख लीजिये सीरिया के मामले पर कमुनिस्ट दोस्तों ने कितने सेमीनार किये हैं.? एक हथकंडा आसान है उनके लिए कहते हैं कि बशार अलअसद इस्राइल के खिलाफ मुज़ाहमत कर रहा है, लेकिन जब हम पूछते है  कि अगर सीरिया में बशार अलअसद की जगह अवामी हुकूमत आ जायेगी तो क्या वो इसराइल के खिलाफ नहीं होगी.!! दिलचस्प नोटंकी तो ये है कि रूस बहादुर की मिसाइलों से एक भी नागरिक या बशार का विरोधी महफूज़ नही है लेकिन इसराइल ने जितने हमले दमिश्क(जॉर्डन) पर किये हैं, वहां रूस की टेक्नोलोजी फ़ैल हो जाती है.!!

कमुनिस्ट और आयतुल्लाह गिरोह का इत्तेहाद (गठबंधन) भी बड़ा दिलचस्प है. आयतुल्लाह कहता है कि इसराइल को नेस्तो-नाबूद कर देंगे जबकि रूस के सदर और इस्राइली PM के बीच सबसे ज्यादा फ़ोन पर बातचीत का रिकॉर्ड है.!! ये आयतुल्लाह, Kremlin और Zionism का त्रिकोण समझ से बाहर है, और शायद कमुनिस्ट भाइयों की समझ से भी…

अब जब बहुत सासरे मुसलमान सवाल कर रहे हैं कि सीरिया में कौन किसको मार रहा है? तो हिंदुस्तान के कमुनिस्ट अपने अख्लाकी दबाव में कुछ कहने की बजाय भाग रहे हैं.! उनके नज़दीक सभी मसाइल पर उसूली बहस करना, उनका नज़रयाती पहलु तलाश करना ज़रूरी है. लेकिन सिरीया में हो रहे कत्ले आम पर आप उनसे ये नहीं पूछ सकते कि उनका बशार अलअसद के बारे में क्या ख्याल है?, वो आयतुल्लाह खामनेई के बारे में क्या सोचते हैं?, वो रूस के सुन्नी मुस्लमान पर बमबारी के बारे में क्या सोचते हैं? हमने एक स्टार कमुनिस्ट से पुछा कि वो बशार अलअसद और उसके खिलाफ पुर अमन जद्दो जहद को कैसा समझते है ? जवाब के लिए अभी तक मुन्तजिर हूँ.!!

सिरीया में बच्चों के क़त्ल पर उन्हें बहुत अफ़सोस है और वो बच्चों की याद में ‘फूल मार्च’ निकालना चाहते हैं. लेकिन ये ‘फूल मार्च’ बच्चों की याद में है या बशार अलअसद के खिलाफ अवामी राय को Divert करने की कोशिश है.? ये मार्च निकालने वाले मेरे बहुत अज़ीज़ दोस्त हैं और मैं उनका बहुत अहतराम करता हूँ, लेकिन सिरीय के मजलूमों से कम! मैं उन साथियों से ये समझने की कोशिश कर रहा हूँ कि ‘फूल मार्च’ एक Apologetic Idea है. आप अगर बशार अलअसद को सही मानते हैं तो ये आपका हक है आप अपनी राय ज़ाहिर करें. आप दुनिया को ये बताने में कोई झिझक महसूस न करें कि रूस, ईरान और असद की बमबारी बिलकुल जायज है!! चेचन्न्या में भी जायज़ थी और सिरीया में भी. रूस एक बे-अमल कमुनिस्ट मुल्क है लेकिन उसके साथ आपकी हमदर्दी उसी तरह जायज़ है जैसे मुसलमानों की सलमान के साथ. लेकिन खुदारा बुजदिली का मुजाहिरा न करें.!!

उमैर अनस (मेम्बर ICWA नई दिल्ली)

(Disclaimer: लेखक के विचारों से संपादक मंडल का सहमत होना आवश्यक नहीं है)

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