AMU के छात्र नेताओं ने ऑनलाइन प्रेस वार्ता कर CAA विरोधी आंदोलन में सक्रिय छात्रों की गिरफ़्तारियों का जताया विरोध

“ऐसे वक़्त में जब पूरी दुनिया एकजुट होकर कोरोना वायरस की महामारी से लड़ रही है, राज्य/पुलिस द्वारा सीएए विरोधी आंदोलन में सक्रिय छात्र/छात्राओं की लगातार गिरफ़्तारियां अत्यंत निंदनीय हैं। एएमयू के पूर्व छात्र आमिर मिंटोई के बाद अब अलीगढ़ पुलिस ने एएमयू छात्र फ़रहान ज़ुबैरी को गिरफ़्तार किया है।

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नागरिकता संशोधन क़ानून(सीएए) विरोधी आंदोलन में सक्रिय छात्र नेताओं की लगातार हो रही गिरफ़्तारियों के संबंध में 1 जून 2020 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र नेताओं द्वारा एक ऑनलाइन प्रेस वार्ता की गई। जिसमें एएमयू के सभी सक्रिय छात्रनेता शामिल रहे।

मोहम्मद सलमान इम्तियाज़ (अध्यक्ष, एएमयू छात्रसंघ 2018-19), डॉ० हमज़ा मलिक (अध्यक्ष, आरडीए, जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, एएमयू), मुहम्मद ग़यासुद्दीन (सदस्य, एएमयू कोर्ट), फ़िरदौस अहमद (कैबिनेट सदस्य, एएमयू छात्रसंघ 2018-19), फ़ाख़रा ख़ान (कैबिनेट सदस्य, एएमयू छात्रसंघ 2018-19) तथा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अन्य छात्र नेताओं अब्दुल वदूद, वरदा बेग, ताहिर आज़मी, मुहम्मद फ़ज़ल और अंसब आमिर ने इस प्रेस वार्ता में अपनी बात रखी और निम्नलिखित साझा बयान जारी किया –

“ऐसे वक़्त में जब पूरी दुनिया एकजुट होकर कोरोना वायरस की महामारी से लड़ रही है, राज्य/पुलिस द्वारा सीएए विरोधी आंदोलन में सक्रिय छात्र/छात्राओं की लगातार गिरफ़्तारियां अत्यंत निंदनीय हैं। एएमयू के पूर्व छात्र आमिर मिंटोई के बाद अब अलीगढ़ पुलिस ने एएमयू छात्र फ़रहान ज़ुबैरी को गिरफ़्तार किया है।

28 मई 2020 के दिन, एएमयू में सोशल वर्क परास्नातक के छात्र, फ़रहान ज़ुबैरी को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया गया। फ़रहान एएमयू से शुरू हुए सीएए विरोधी आंदोलन में काफ़ी सक्रिय भूमिका में थे। उनके ख़िलाफ़ लगभग 11 मुकदमों पर आधारित एक एफ़आईआर दर्ज की गई है जिसमें आईपीसी धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 124 ए (राजद्रोह) जैसे संगीन मामलों में मुकदमा दायर किया गया है। अलीगढ़ पुलिस के अनुसार “हत्या के प्रयास” का मुकदमा इसलिए दर्ज किया गया है क्योंकि पुलिस पर भारी पथराव किया गया था।

उत्तर-प्रदेश पुलिस की असंवेदनशीलता किसी से छुपी हुई नहीं है। हमें 15 दिसम्बर 2019 की रात को नहीं भूलना चाहिए जब उत्तर प्रदेश-पुलिस ने एएमयू कैम्पस में घुसकर छात्रों पर बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की थी, उनके छात्रावासों में घुसकर तोड़फोड़ की थी जिसमें छात्रों ने मानसिक आघात तो झेला ही लेकिन इसके अलावा उस रात कई छात्रों को कभी न ठीक होने वाली चोटें भी आईं थीं।

16 अप्रैल 2020 के दिन एएमयू के पूर्व छात्र आमिर मिंटोई को जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एएमयू से अलीगढ़ पुलिस ने उस समय गिरफ़्तार किया जब वे वहां पर भर्ती मरीज़ों के परिजनों के बीच खाना वितरित कर रहे थे। आमिर मिंटोई भी सीएए विरोधी आंदोलन में सक्रिय रहे थे और इसके अलावा भी सरकार की मुस्लिम विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ मुखर रहे हैं।

हालांकि, राज्य द्वारा प्रताड़ित किया जाना नया नहीं है। एक पूरा इतिहास है कि कैसे मुसलमानों को राज्य मशीनरी द्वारा निशाना बनाया गया है और इस वक़्त जब मुसलमान युवा, जो विश्वविद्यालयों में हैं, सीएए विरोधी आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे और एक नयी राजनीति शुरू हुई थी, तभी सरकार ने इसे दबाने के प्रयास शुरू कर दिये थे। प्रायोजित और सुनियोजित तरीके से छात्रों पर हमले हुए, दिल्ली में दंगे करवाए गए और अब हाल ही में लॉकडाउन की आड़ में मुखर मुस्लिम छात्रों को झूठे आरोपों में गिरफ़्तार करने का सिलसिला शुरू किया गया है। मुस्लिम छात्रों और कार्यकर्ताओं को झूठे आरोप लगाकर गिरफ़्तार करना, उनपर यूएपीए, राजद्रोह और हत्या के प्रयास जैसे संगीन मुकदमे लाद देना सिर्फ राज्य के गुस्से और बदला लेने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।

हम, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र/छात्राएं, सीएए विरोधी कार्यकर्ताओं और छात्रों की गिरफ़्तारियों और राज्य द्वारा उन्हें प्रताड़ित किए जाने की कड़े शब्दों में निन्दा करते हैं। हमारा मानना है कि सरकार लॉकडाउन की आड़ में मुखर मुस्लिम आवाज़ों को दबाने का प्रयास कर रही है जो सीएए के ख़िलाफ़ उठी थीं।

हम मांग करते हैं कि सभी छात्र/छात्राओं और कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा किया जाए और उनपर लगाए गए यूएपीए व राजद्रोह जैसे मानवता विरोधी क़ानून वापस लिए जाएं।

हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं का हम इस सरकारी प्रताड़ना और पुलिस द्वारा की जा रही गिरफ़्तारियों से भयभीत होने वाले नहीं हैं। न्याय और अधिकारों के लिए लड़ी जा रही अपनी लड़ाई में हमें पूरा विश्वास है और हम इस संघर्ष को जारी रखेंगे।

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