पैग़ंबर मुहम्मद (स०) और उनके साथियों का पहला रमज़ान

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इबादत और रोज़ा का मतलब दैनिक जीवन के कामों और अन्य अभ्यासों को छोड़ देना नहीं है। अल्लाह के रसूल (सल्ल०) रमज़ान में अपने दैनिक जीवन को बाधित न करने की कोशिश करते थे, और अगर उन्हें रोज़े के दौरान कुछ करना होता, तो वह करते थे। अपने कामों में वह रोज़े के नाम पर देरी नहीं करते थे।

बिहार शरीफ़ दंगा प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा : प्रतिनिधि मंडल

बिहार शरीफ़ में राम नवमी के अवसर पर हुए दंगे के बाद ख़बरें और तस्वीरें चर्चा में रहीं। इसी बीच जमाअत-ए-इस्लामी हिंद और स्टूडेंट्स...

सुप्रीम कोर्ट ने MediaOne TV से प्रतिबंध हटाया, केंद्र को सुनाई खरी-खरी

सुप्रीम कोर्ट ने MediaOne TV को सिक्योरिटी क्लियरेंस के अभाव में अपने प्रसारण लाइसेंस को नवीनीकृत करने से इनकार करने के सूचना मंत्रालय के आदेश को रद्द कर दिया है। साथ ही, इसने मंत्रालय को चार सप्ताह के भीतर चैनल को नवीनीकरण लाइसेंस जारी करने का निर्देश भी दिया है। कोर्ट ने कहा है कि चैनल के प्रसारण लाइसेंस के नवीनीकरण से इन्कार करने के लिए सरकार के पास उचित आधार नहीं हैं।

डीयू के इंद्रप्रस्थ कॉलेज में उत्पीड़न का मामला, छात्राओं का प्रदर्शन जारी

डीयू के इंद्रप्रस्थ कॉलेज में उत्पीड़न का मामला, छात्राओं का प्रदर्शन जारी रिपोर्ट: उवैस सिद्दीक़ी नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के इंद्रप्रस्थ कॉलेज फ़ॉर विमेन (आईपीसीडब्ल्यू) की...

रमज़ान में आत्मा और सांत्वना की तलाश

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क़ानून व्यवस्था और दंड व पुरस्कार का आधुनिक ढांचा मानव अनुभूति और आत्मा के गहरे स्तरों से जुड़ने में विफल रहा है। इसी गहरे स्तर पर मानव से न जुड़ पाने की वजह से हर प्रकार का भ्रष्टाचार व्याप्त है। अतः रमज़ान और रोज़ा मुख्य रूप से आत्म-शुद्धि करने के साथ-साथ शरीर पर आत्मा का और पशुवत प्रवृत्ति पर मानवीयता का प्रभुत्व विकसित करने के लिए आवश्यक है। यह एक स्वस्थ समाज के निर्माण का रोडमैप हो सकता है।

नफ़्स के साथ जिहाद का महीना है रमज़ान

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नफ़्स के साथ जिहाद का महीना है रमज़ान डॉ. हसन रज़ा रोज़ा वास्तव में अपने नफ़्स (आत्म) से जिहाद है। अपने नफ़्स को क़ाबू में रखने...

बिहार दिवस विशेष: भारतीय इतिहास की मज़बूत जड़ों में है बिहार

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बारी अंग्रेज़ों से संघर्ष की आई तो भला फिर बिहार कैसे पीछे रह सकता था! वीर कुंवर सिंह, पीर मुहम्मद मूनिस, रास बिहारी, मौलाना मज़हरुल हक, बैकुंठ शुक्ल जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को कौन भूल सकता है! अहिंसा के प्रतीक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जब दक्षिण अफ़्रीका से लौटे तो उन्होंने अपने सत्याग्रह की शुरुआत बिहार के चंपारण से की।

विश्व गौरैया दिवस विशेष: क्यों ज़रूरी है गौरैया संरक्षण?

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गौरेया को बचाने के लिए दिवसों के आयोजन, राज्य पक्षी बनाने और टिकट जारी करने भर से काम नहीं चलेगा। हमें स्वयं कुछ व्यवहारिक तरीक़े अपनाने होंगे जिससे हम इस ख़ूबसूरत पक्षी को बचा सकें। इस संबंध में अपने छतों पर दाने छिड़कना और बर्तनों में साफ़ पानी रखना कारगर साबित हो सकता है। हमें ज़्यादा से ज़्यादा पेड़-पौधे लगाने होंगे ताकि उन्हें गौरैया अपना आश्रय बना सके।

क्यों निरर्थक है राष्ट्र बनाम धर्म की बहस?

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देश और धर्म एक दूसरे के विपरीत या पर्यायवाची नहीं हैं। देश गतिविधि के क्षेत्र का नाम है तो धर्म क्षेत्र में कार्य करने की प्रेरणा और विधि है। देश एक भौगोलिक पहचान है तो धर्म जीवन-शैली की पहचान है। एक चीज़ सीमांत है जबकि दूसरी वैश्विक है। तो दोनों में श्रेष्ठ कौन या पहले कौन, यह प्रश्न ग़लत है। इस तरह की बहसें केवल जनता को मूल मुद्दों से भटकाने और जनभावनाओं का दुरुपयोग करने का काम करती हैं। ऐसा माहौल बनाया जाता है कि लोग तीसरी दिशा में नहीं सोचते।

विश्व भर में मनाया गया पहला अंतर्राष्ट्रीय इस्लामोफ़ोबिया विरोधी दिवस

इस दिन को मनाने के लिए 15 मार्च की तारीख़ इसीलिए चुनी गई क्योंकि यह क्राइस्ट चर्च मस्जिद पर हुई गोलीबारी की बरसी है। न्यूज़ीलैंड के क्राइस्ट चर्च स्थित अल नूर मस्जिद और लिनवुड इस्लामिक सेंटर में 15 मार्च 2019 को हुई गोलीबारी में 51 लोग मारे गए थे और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे। धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता पर संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट में पाया गया कि मुसलमानों के प्रति संदेह, भेदभाव और नफ़रत ‘महामारी के अनुपात’ से बढ़ गई है।