एसआईओ ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया से अपने राष्ट्रव्यापी कैंपस अभियान की शुरुआत की

इस अभियान का उद्देश्य शिक्षण संस्थानों में नैतिक मूल्यों को पुनर्जीवित करते हुए कैंपसेज़ के महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करना है।

चे ग्वेरा के बहाने सलाहुद्दीन अय्यूबी की याद

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जो काम आधुनिक युग में चे ग्वेरा ने अमेरिकी साम्राज्यवाद को चुनौती देकर किया था, उससे बड़ा कारनामा सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी क़रीब आठ सदी पहले ज़बरदस्त ढंग से कर चुके थे, जिसकी कसक सदियों तक यूरोपीय देशों को रही।

ख़ालिद सैफ़ी ने जेल से लिखा ख़त, कहा ‘अगर सिर्फ़ अपने बारे में सोचता...

सामाजिक कार्यकर्ता और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट से जुड़े ख़ालिद सैफ़ी पिछले लगभग डेढ़ साल से जेल में बंद हैं। उन पर यूएपीए लगाया गया...

क्या एहसान जाफ़री को हम भूल जाएंगे?

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21 साल पहले, आज (28 फ़रवरी) ही के दिन, गुजरात में हिन्दुत्ववादी भीड़ ने गुलबर्ग सोसाइटी पर हमला किया था जिसमें कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफ़री सहित 69 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। एहसान जाफ़री ने गुलबर्ग सोसायटी के लोगों को बचाने के लिए सबको फ़ोन किये, यहाँ तक कि तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भी, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। कौन थे एहसान जाफ़री? क्या थी गुलबर्ग सोसायटी और क्या हुआ उनके साथ? पढ़िए इस लेख में।

शाहिद आज़मी को याद किया जाना क्यों ज़रूरी है?

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शाहिद आज़मी का पूरा जीवन यह संदेश देता है कि हमारे देश में न्याय केवल अदालतों के माध्यम से ही संभव है। अन्यायपूर्ण तरीक़े से 7 साल जेल में बिताने के बाद भी वह न्याय व्यवस्था से निराश नहीं हुए और न्यायपालिका से न्याय पाकर अपने और अन्य बेगुनाहों दोनों के लिए न्याय हासिल करके दिखाया। यही वजह है कि शाहिद आज़मी से प्रेरित होकर हज़ारों युवाओं ने वकालत का पेशा अपनाया जो आज उनके काम को आगे बढ़ा रहे हैं।

अल्लामा इक़बाल की प्रासंगिकता बरक़रार है

दरअसल सत्ता के नशे में चूर हुक्मरानों का यह सोचना है कि उन्होंने इक़बाल को पाठ्यक्रम से बाहर निकाल कर उन्हें दफ़्न कर दिया है लेकिन अल्लामा इक़बाल कोई टिमटिमाता हुआ दिया नहीं हैं जो उनकी फूंकों से बुझ जाएंगे। दुनिया में बहुत कम शायर ऐसे हुए हैं जिनकी शायरी को देशों की सीमाओं से परे, अवाम ने इतना पसंद किया हो।

सपनों की उड़ान (लघुकथा)

सपनों की उड़ान (लघुकथा) सहीफ़ा ख़ान ट्रेन अपनी रफ़्तार पकड़ चुकी थी। अब तो शहर भी आंखों से ओझल होता जा रहा था। वह सीट के...

सुप्रीम कोर्ट ने MediaOne TV से प्रतिबंध हटाया, केंद्र को सुनाई खरी-खरी

सुप्रीम कोर्ट ने MediaOne TV को सिक्योरिटी क्लियरेंस के अभाव में अपने प्रसारण लाइसेंस को नवीनीकृत करने से इनकार करने के सूचना मंत्रालय के आदेश को रद्द कर दिया है। साथ ही, इसने मंत्रालय को चार सप्ताह के भीतर चैनल को नवीनीकरण लाइसेंस जारी करने का निर्देश भी दिया है। कोर्ट ने कहा है कि चैनल के प्रसारण लाइसेंस के नवीनीकरण से इन्कार करने के लिए सरकार के पास उचित आधार नहीं हैं।

क्या बदला हुआ तालिबान अफ़ग़ानिस्तान को भी बदल पाएगा?

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लगातार बढ़ते हुए भ्रम और अनिश्चितताओं के बीच रविवार की शाम 15 अगस्त 2021 को तालिबानी लड़ाके काबुल में राष्ट्रपति भवन में आराम से...

हाशिमपुरा हिरासती हत्याकांड के 36 वर्ष

लगभग दस वर्षों से उत्तर भारत मे चल रहे राम जन्मभूमि आंदोलन ने पूरे समाज को बुरी तरह से बांट दिया था। उत्तरोत्तर आक्रामक होते जा रहे इस आंदोलन ने ख़ास तौर से हिन्दू मध्यवर्ग को अविश्वसनीय हद तक साम्प्रदायिक बना दिया था। विभाजन के बाद सबसे अधिक साम्प्रदयिक दंगे इसी दौर मे हुए थे। स्वाभाविक था कि साम्प्रदायिकता के इस अन्धड़ से पुलिस और पीएसी के जवान भी अछूते नहीं रहे थे।