वह सुबह ज़रूर आएगी! डॉ. भीमराव अम्बेडकर जयंती विशेष
मैं हुं न्याय, दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जो सुबह से लेकर शाम तक में मुझे याद न करे। सब लोग मुझसे इतना...
कविता : हम सरकार हैं,ज़ुबान बंद रखो
हम सरकार हैं...
हम सरदार है
हमारा हुक्म सर्वोपरि है
ज़ुबान बंद रखो
आंखे मूंद लो
तुम्हारी बुद्धि
तुम्हारा विवेक
तुम्हारा त्याग
तुच्छ हैं
हमारी शान के आगे
तुम्हारा दर्द
तुम्हारे आंसू
तुम्हारी शंकाएं
ज़िन्दगी और मौत
कुछ...
[दर्पण] पहाड़ों पर जमी बर्फ़ तप रही है
पहाड़ों पर जमी बर्फ़ तप रही है
जब ठंड बढ़ती है
पहाड़ों पर बर्फ़ गिरती है,
मुसल्ले और टोपियां बर्फ़ सी
नमाज़ियों के साथ ऐंठ जाती हैं
बारूद की...
भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
शारिक़ अंसर, नई दिल्ली
आज़ादी हासिल करने में और भारत जैसे बहुसंख्यक, बहुभाषीय व बहुसांस्कृतिक समाज को बांधे रखने और उसे नई दिशा देने में...
‘आग और अंधकार’ कविता
'आग और अंधकार'
एक दिन जब सुबह हुई, राजा अंधा हो गया
दिन चढ़ा, सूरज निकला, पर राजा की आंख अंधेरी
उसको कुछ भी नज़र ना आया
वैद्य,...
तरकीब (लघुकथा)
आज रविवार था, सुबह 8 बजे कोचिंग में वीकली टेस्ट और 30% मार्क्स के साथ सैफ़, बैच का सबसे कम नम्बर प्राप्त करने वाला...
कविता – “हे शूद्र!”
लो पैर तुम्हारे साफ हो गये
अब चप्पलों की जरूरत नहीं तुम्हे
तुम उतर सकते हो सीवर मे बे फिक्र
तुम मरोगे नहीं, तुम्हे
निर्वाण मिलेगा अब
सीधा स्वर्ग...
ख़ामोश आंखे (कविता)
दर्द में डूबी खामोश आंखे
ठहर ठहर कर चलती सांसे
घटती रहती घटनाए
मासूम रक्त को बहाए
खूंखार दिलो को फिर भी
शर्म न आए
कुछ न करे कोई
कुछ न...
राहत इंदौरी : आवाम का शायर,अलविदा कह गया
मंच सजा हुआ है। हर निगाह आतुर है। इस सजे हुए मंच की रौनक अभी आना बाकि है। वो शख्स जो कहता है कि
"हाथ...
[दर्पण] कितना अच्छा होता
कितना अच्छा होता,
निकाल लेते सारा पोटेशियम नाइट्रेट बारूद से,
और ज़्यादा बना सकते थे उर्वरक,
पिघला देते हथियारों का सारा लोहा,
और अधिक बना सकते थे हल,
निकाल...