कविता-साम्राज्य हमेशा से दयालू रहा है

साम्राज्य हमेशा से दयालू रहा है जब हम अंधकार में थे पश्चिमी साम्राज्य ने हम पर दया दृष्टि डाली हमें सभ्य बनाया उसने हमें लूटा नहीं, ना ग़ुलाम...

[दर्पण] पहाड़ों पर जमी बर्फ़ तप रही है

पहाड़ों पर जमी बर्फ़ तप रही है जब ठंड बढ़ती है पहाड़ों पर बर्फ़ गिरती है, मुसल्ले और टोपियां बर्फ़ सी नमाज़ियों के साथ ऐंठ जाती हैं बारूद की...

सपनों की उड़ान (लघुकथा)

सपनों की उड़ान (लघुकथा) सहीफ़ा ख़ान ट्रेन अपनी रफ़्तार पकड़ चुकी थी। अब तो शहर भी आंखों से ओझल होता जा रहा था। वह सीट के...

विकास ढूंढ़ता हूँ मैं…..

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मैं अखबार पढ़ते ना जाने क्यों अपने देशका विकास ढूंढता हूँविकास हमारे मोहल्ले का खोया हुआकोई नन्हा बालक नहीं है,विकास हमारी प्रगति का है,विकास...

कविता-मजदूर

जो बनाते हैं सबका आशियाना जो बीनते हैं रंग बिरंगे कपड़े तैयार करते हैं फसल आज मजबूर हैं कोरोना महामारी ने कर दिया है बेबस, लाचार कि पैदल ही चल...

स्व. भिखारी ठाकुर की जयंती रंगवा में भंगवा परल हो बटोहिया !

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Dhruv Gupt लोकभाषा भोजपुरी की साहित्य-संपदा की जब चर्चा होती है तो सबसे पहले जो नाम सामने आता है, वह है स्व भिखारी ठाकुर का।...

दर्पण

टीवी ऑन करने पर बहुत सा शोर टकराता है कानों से । कोई एक खेल खेला जा रहा है । इधर एक एंकर सीटी बजाता है उधर आरोप प्रत्यारोप...

सैर के वास्ते थोड़ी सी जगह और सही !

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Druv Gupt ✒️..... दिल्ली के निज़ामुद्दीन में मौज़ूद मिर्ज़ा ग़ालिब की मज़ार दिल्ली की मेरी सबसे प्रिय जगह है। वहां की बेशुमार भीड़भाड़ में जब भी...

जानिए क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस?

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निशांत तिवारी सन् 1947 में भारत की आज़ादी के साथ भारत का विभाजन भी हुआ और दुनिया के नक़्शे पर एक नया देश उभरा- पाकिस्तान।...

[दर्पण] कितना अच्छा होता

कितना अच्छा होता, निकाल लेते सारा पोटेशियम नाइट्रेट बारूद से, और ज़्यादा बना सकते थे उर्वरक, पिघला देते हथियारों का सारा लोहा, और अधिक बना सकते थे हल, निकाल...