‘आग और अंधकार’ कविता

'आग और अंधकार' एक दिन जब सुबह हुई, राजा अंधा हो गया दिन चढ़ा, सूरज निकला, पर राजा की आंख अंधेरी उसको कुछ भी नज़र ना आया वैद्य,...

गरीब की मौत का दोषी कौन ? “लघु कथा”

एक बार एक गरीब मर गया क्रिया-कर्म कराने वाले पंडित ने परिजनों से पूछा- 'इनकी मृत्यु कैसे हुई थी यजमान...?' परिजनों में से कुछ केन्द्र सरकार...

राहत इंदौरी : आवाम का शायर,अलविदा कह गया

मंच सजा हुआ है। हर निगाह आतुर है। इस सजे हुए मंच की रौनक अभी आना बाकि है। वो शख्स जो कहता है कि   "हाथ...

तरकीब (लघुकथा)

आज रविवार था, सुबह 8 बजे कोचिंग में वीकली टेस्ट और 30% मार्क्स के साथ सैफ़, बैच का सबसे कम नम्बर प्राप्त करने वाला...

[कविता] तब क़लम उठानी पड़ती है

मानवता जब दम तोड़ रही हो, सांसें साथ छोड़ रही हों, तब क़लम उठानी पड़ती है, क्रांति की मशाल जलानी पड़ती है। देश के सारे मुद्दे...

गीता प्रेस ने प्रतिगामी, प्रतिक्रियावादी और सांप्रदायिक ‘हिन्दू’ का निर्माण किया है

हिंदी भाषी क्षेत्र में आरएसएस-भाजपा की सफलता में गीता प्रेस का योगदान हम भले न पहचानें, आरएसएस-भाजपा अवश्य पहचानती है और इसी अतुलनीय योगदान के लिए गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस को दिया जा रहा है। गांधी शांति पुरस्कार इसलिए कि गांधी के नाम के आवरण में गीता प्रेस की प्रतिगामी भूमिका को ढका जा सके और गीता प्रेस को गांधी से जोड़कर एक बार फिर से गांधी को सनातनी हिंदू सिद्ध किया जा सके।

अर्थशास्त्र के इस्लामीकरण के ध्वजवाहक, प्रोफेसर नजातुल्लाह सिद्दीकी का निधन

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-डॉ मुहम्मद रज़ी उल इस्लाम नदवी सुबह में, यह बताया गया कि प्रोफेसर मुहम्मद नजतुल्लाह सिद्दीकी साहब का निधन हो गया था। तुरंत जुबान...

[कविता] तरस आता है उस देश पर

“लॉरेंस फ़र्लिंगहेटी की यह कविता ‘तरस आता है उस देश पर’, उस देश की है, जिसकी बदनामी इस देश में नहीं हो सकती। इस-उस देश के बीच फँसे एक देश के नागरिकों के सामने एक कविता खड़ी है।” - रवीश कुमार

कविता-किताबें खोलता हूँ

किताबें खोलता हूँ, सैकड़ों पन्ने पलटता हूँ, हज़ारों लफ्ज़ मिलते हैं, सभी खामोश दिखते हैं, यूंही बिखरे पड़े हैं सब, क़लम ने क़ैद कर रख्खा है इनको, किताबों के क़िले...

लघु कथा! तजुर्बा

मेट्रो में एक बुजुर्ग महिला बैठी हैं... साथ उनकी बेटी है... दोनों भोजपुरी में बातें कर रही हैं... बातों का टॉपिक गाँव का कोई...