पुस्तक समीक्षा: ठिठुरते लैम्प पोस्ट
अदनान कफ़ील 'दरवेश' का ताज़ातरीन और पहला कविता-संग्रह 'ठिठुरते लैम्प पोस्ट' पढ़ा। किताब में कुल 97 कविताएँ हैं, जिनमें अच्छी या कम अच्छी जैसी...
विश्व शांति दिवस और निशान ए मीर
आज विश्व शांति दिवस है तो आज ही मीर तक़ी मीर के गुज़रने का दिन भी । मेरे लिए इन दोनों वजहों से आजका...
लघु कथा! तजुर्बा
मेट्रो में एक बुजुर्ग महिला बैठी हैं... साथ उनकी बेटी है... दोनों भोजपुरी में बातें कर रही हैं... बातों का टॉपिक गाँव का कोई...
कविता-नफरत…
नफरत...
जिसके बीज दिलों में बोए जाते हैं।
जो इन्सान से कई अपराध कराती है।
और जब यह नफरत हद से गुज़र जाती है,
तो सांप्रदायिक दंगे भड़काती...
कविता-किताबें खोलता हूँ
किताबें खोलता हूँ,
सैकड़ों पन्ने पलटता हूँ,
हज़ारों लफ्ज़ मिलते हैं,
सभी खामोश दिखते हैं,
यूंही बिखरे पड़े हैं सब,
क़लम ने क़ैद कर रख्खा है इनको,
किताबों के क़िले...
सपनों की उड़ान (लघुकथा)
सपनों की उड़ान (लघुकथा)
सहीफ़ा ख़ान
ट्रेन अपनी रफ़्तार पकड़ चुकी थी। अब तो शहर भी आंखों से ओझल होता जा रहा था। वह सीट के...
कविता-साम्राज्य हमेशा से दयालू रहा है
साम्राज्य हमेशा से दयालू रहा है
जब हम अंधकार में थे
पश्चिमी साम्राज्य ने हम पर दया दृष्टि डाली
हमें सभ्य बनाया
उसने हमें लूटा नहीं, ना ग़ुलाम...
जानिए क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस?
निशांत तिवारी
सन् 1947 में भारत की आज़ादी के साथ भारत का विभाजन भी हुआ और दुनिया के नक़्शे पर एक नया देश उभरा- पाकिस्तान।...
फणीश्वर नाथ रेणु : धरती का धनी कथाकार
साहित्य चाहे किसी भी भाषा अथवा बोली में रचा जाए, उसका महत्व तभी है जब उसमें अतीत से मिले सबक हों और बेहतर भविष्य के निर्माण की परिकल्पना। हिंदी साहित्य में ऐसे रचनाकार जिनकी रचनाओं में यह बात स्पष्ट दिखती है, उनमें फणीश्वर नाथ रेणु अग्रणी हैं। इसकी ख़ास वजह यह कि उनकी रचनाओं में वर्तमान के द्वंद्व तो होते ही हैं लेकिन एक बुनियाद भी होती है जिसके सहारे वह बेहतर समाज के निर्माण का सपना संजोते हैं।
सैर के वास्ते थोड़ी सी जगह और सही !
Druv Gupt ✒️.....
दिल्ली के निज़ामुद्दीन में मौज़ूद मिर्ज़ा ग़ालिब की मज़ार दिल्ली की मेरी सबसे प्रिय जगह है। वहां की बेशुमार भीड़भाड़ में जब भी...