कविता-किताबें खोलता हूँ
किताबें खोलता हूँ,
सैकड़ों पन्ने पलटता हूँ,
हज़ारों लफ्ज़ मिलते हैं,
सभी खामोश दिखते हैं,
यूंही बिखरे पड़े हैं सब,
क़लम ने क़ैद कर रख्खा है इनको,
किताबों के क़िले...
कविता-नफरत…
नफरत...
जिसके बीज दिलों में बोए जाते हैं।
जो इन्सान से कई अपराध कराती है।
और जब यह नफरत हद से गुज़र जाती है,
तो सांप्रदायिक दंगे भड़काती...
वह सुबह ज़रूर आएगी! डॉ. भीमराव अम्बेडकर जयंती विशेष
मैं हुं न्याय, दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जो सुबह से लेकर शाम तक में मुझे याद न करे। सब लोग मुझसे इतना...
‘आग और अंधकार’ कविता
'आग और अंधकार'
एक दिन जब सुबह हुई, राजा अंधा हो गया
दिन चढ़ा, सूरज निकला, पर राजा की आंख अंधेरी
उसको कुछ भी नज़र ना आया
वैद्य,...
गरीब की मौत का दोषी कौन ? “लघु कथा”
एक बार एक गरीब मर गया
क्रिया-कर्म कराने वाले पंडित ने परिजनों से पूछा- 'इनकी मृत्यु कैसे हुई थी यजमान...?'
परिजनों में से कुछ केन्द्र सरकार...
Covid19- “टूटेंगे बंधन और हम फिर आज़ाद होंगे” कविता
टप-टप गिर रहा था आज बूंदों के रूप में जो आसमां से
आज इन बूंदों में वो पहले सा सुकून कहाँ है?
आज वो बच्चे कहाँ...
लघु कथा! तजुर्बा
मेट्रो में एक बुजुर्ग महिला बैठी हैं... साथ उनकी बेटी है... दोनों भोजपुरी में बातें कर रही हैं... बातों का टॉपिक गाँव का कोई...
कविता : हम सरकार हैं,ज़ुबान बंद रखो
हम सरकार हैं...
हम सरदार है
हमारा हुक्म सर्वोपरि है
ज़ुबान बंद रखो
आंखे मूंद लो
तुम्हारी बुद्धि
तुम्हारा विवेक
तुम्हारा त्याग
तुच्छ हैं
हमारी शान के आगे
तुम्हारा दर्द
तुम्हारे आंसू
तुम्हारी शंकाएं
ज़िन्दगी और मौत
कुछ...
सैर के वास्ते थोड़ी सी जगह और सही !
Druv Gupt ✒️.....
दिल्ली के निज़ामुद्दीन में मौज़ूद मिर्ज़ा ग़ालिब की मज़ार दिल्ली की मेरी सबसे प्रिय जगह है। वहां की बेशुमार भीड़भाड़ में जब भी...
स्व. भिखारी ठाकुर की जयंती रंगवा में भंगवा परल हो बटोहिया !
Dhruv Gupt
लोकभाषा भोजपुरी की साहित्य-संपदा की जब चर्चा होती है तो सबसे पहले जो नाम सामने आता है, वह है स्व भिखारी ठाकुर का।...