भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
शारिक़ अंसर, नई दिल्ली
आज़ादी हासिल करने में और भारत जैसे बहुसंख्यक, बहुभाषीय व बहुसांस्कृतिक समाज को बांधे रखने और उसे नई दिशा देने में...
तरकीब (लघुकथा)
आज रविवार था, सुबह 8 बजे कोचिंग में वीकली टेस्ट और 30% मार्क्स के साथ सैफ़, बैच का सबसे कम नम्बर प्राप्त करने वाला...
चिनार का दर्द
एक नन्हा सा पौधा जिसे जवान होने में सदियां लगी थीं।
जिसने पता नहीं कितनी तूफानी बर्फीली हवाओं से लड़कर अपने वजूद को जिंदा रखा...
[दर्पण] कितना अच्छा होता
कितना अच्छा होता,
निकाल लेते सारा पोटेशियम नाइट्रेट बारूद से,
और ज़्यादा बना सकते थे उर्वरक,
पिघला देते हथियारों का सारा लोहा,
और अधिक बना सकते थे हल,
निकाल...
[दर्पण] युद्ध और शांति
उन्होंने नहीं देखा है अभी
बस्तियों को उजड़ते हुए
लोगों को कराहते हुए
गिद्धों को लाशें नोचते हुए
और शहरों को श्मशान बनते हुए
उन्होंने नहीं सुना है अभी
किसी...
[कविता] तब क़लम उठानी पड़ती है
मानवता जब दम तोड़ रही हो, सांसें साथ छोड़ रही हों,
तब क़लम उठानी पड़ती है, क्रांति की मशाल जलानी पड़ती है।
देश के सारे मुद्दे...
[दर्पण] पहाड़ों पर जमी बर्फ़ तप रही है
पहाड़ों पर जमी बर्फ़ तप रही है
जब ठंड बढ़ती है
पहाड़ों पर बर्फ़ गिरती है,
मुसल्ले और टोपियां बर्फ़ सी
नमाज़ियों के साथ ऐंठ जाती हैं
बारूद की...
कविता – “हे शूद्र!”
लो पैर तुम्हारे साफ हो गये
अब चप्पलों की जरूरत नहीं तुम्हे
तुम उतर सकते हो सीवर मे बे फिक्र
तुम मरोगे नहीं, तुम्हे
निर्वाण मिलेगा अब
सीधा स्वर्ग...
दर्पण
टीवी ऑन करने पर
बहुत सा शोर टकराता है
कानों से ।
कोई एक खेल खेला जा रहा है ।
इधर एक एंकर सीटी बजाता है
उधर आरोप प्रत्यारोप...
ख़ामोश आंखे (कविता)
दर्द में डूबी खामोश आंखे
ठहर ठहर कर चलती सांसे
घटती रहती घटनाए
मासूम रक्त को बहाए
खूंखार दिलो को फिर भी
शर्म न आए
कुछ न करे कोई
कुछ न...