महाराष्ट्र के शहर जलगांव की रहने वाली डॉ. पायल तड़वी पिछड़े क्षेत्र से तालुक रखती थी और मेहनत करके गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज मिराज से MBBS किया उसके बाद नायर हॉस्पिटल मुंबई में रेसिडेंट डॉक्टर (Gynecologist) की हैसियत से काम कर रही थी लेकिन उसका पिछड़े वर्ग, मुस्लिम आदिवासी तबके से होना और इतनी तरक्की कर लेना कुछ लोगों को पसंद नहीं आया. ये वही लोग थे जो समझते है कि बड़ी बड़ी डिग्रियां और अच्छे जॉब सिर्फ उच्च जातियों के लिए ही है वो आज भी पिछड़े लोगों को नाली के कीड़े समझते है जिस की वजह से उन्हों ने डॉ. पायल को सताना शुरू कर दिया जिसे पायल ने कुछ समय तक तो बरदाश्त किया लेकिन बहुत ज़्यादा दिमागी तनाव की वजह से 22 मई को डॉ. पायल ने आत्महत्या कर ली, जो लोग पायल को सता रहे थे वो उसी हॉस्पिटल में काम करते थे और आज भी कर रहे हैं।
आत्महत्या के बाद पायल के माता पिता ने इस केस की जांच की मांग की और हॉस्पिटल के उन डॉक्टर पर करवाई के लिए कहा लेकिन उनकी मांग पर विचार करना तो दूर हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने उसे देखा भी नहीं क्यों कि उन्हें हॉस्पिटल की इज़्ज़त नीलाम हो जाने का डर है लेकिन वो ये नहीं देखते के जान बचाने वाले डॉक्टरों ने ही जान लेने का काम किया है ये कोई आत्महत्या नहीं एक मर्डर है।
मैनेजमेंट ने तो परिवार वालों की बात नहीं सुनी लेकिन देश का संविधान पायल को इंसाफ देगा इस लिए हमें डॉ. पायल के परिवार के साथ उन्हें इंसाफ दिलाने के लिए संघर्ष करने की ज़रूरत है ताकि दिमाग मे गोबर पालने वालों को सबक सिखाया जा सके। मुंबई और दिल्ली समेत देश के कई शहरों में डॉ पायल के न्याय की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं.
(नोट: ये लेखक के निजी विचार हैं)