लोकतंत्र का महोत्सव और मताधिकार

मतदान करने का एक बहुत आसान और अच्छा तरीक़ा यही है कि आप अपने प्रत्याशी के पिछले कार्यकाल को देखिये। वह आप के इलाक़े से, आपकी लोकसभा और आप लोगों से कितना जुड़ा रहा है! आप ज़रूर देखिये कि क्या उसने तब आवाज़ उठाई है जब-जब आपको ज़रूरत पड़ी?

0
2229

26 जनवरी 1950 को भारत पूर्ण रूप से एक लोकतांत्रिक देश बन गया जिसमें चुनाव को एक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया माना गया और भारत के रहने वाले लोगों को पूरी तरह से उनकी सरकार चुनने का मौक़ा मिला और 25 अक्टूबर 1951 में भारत में पहला लोकसभा चुनाव हुआ। जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 489 सीटों में से 364 सीटें जीत कर पूर्ण बहुमत से विजय प्राप्त की। उस समय देश में मतदाताओं की संख्या लगभग 17.32 करोड़ थी जिसमें कांग्रेस को 44.99 प्रतिशत वोट मिले और बहुमत हासिल कर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और आज़ाद हिंदुस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने। यहाँ से शुरू हुआ हमारे मुल्क भारत के लोकतंत्र का सफ़र।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने जनतंत्र की एक बहुत सटीक परिभाषा दी है जिसमें उन्होंने कहा है कि “सरकार लोगों के लिए, लोगों के द्वारा और लोगों से है।” इस बात से साफ़ ज़ाहिर होता है कि किसी भी देश की सरकार जहाँ जनतंत्र है, वो लोगों के लिए ही काम करती है और इस प्रकार हमारा भी फ़र्ज़ बनता है कि हम मतदान ज़रूर करें ताकि हम एक अच्छी सरकार को चुन सकें और अपने भविष्य को उज्ज्वल बनायें। हमारा संविधान भी हमें सरकार चुनने की पूरी तरह से अनुमति देता है और न जाने कितने ऐसे रास्ते खोलता है जिसमे लोगों का भला है।

इस साल 2019 के ये अप्रैल और मई के महीने हर बार की तरह सिर्फ़ प्राकृतिक ग्रीष्म ऋतु के महीने नहीं हैं बल्कि ये इस बार हिंदुस्तान की सियासत के तापमान को बढ़ाने वाले महीने हैं, जिसमें हमारे देश के देशवासी मिलजुल कर मतदान करके अपनी सरकार को चुनेंगे। ये मतदान सिर्फ़ सरकार चुनने के लिए ही नहीं होता बल्कि अपना भविष्य अगले 5 साल तक किसी के हाथ में देने के लिए भी है। चुनावी माहौल चल रहा है। सभी पार्टियाँ अपनी-अपनी दावेदारी ठोक रहीं हैं। कई जगहों पर तो लोगों ने अपने प्रत्याशियों की जीत भी निश्चित कर दी है। सभी पार्टियाँ, प्रत्याशी, समर्थक, कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। मेरी देशवासियों से एक अपील है कि मतदान ज़रूर करें क्योंकि ये हमारे मुल्क का चुनाव है। ये मतदान सिर्फ़ हमारा सांसद या सरकार ही नहीं चुनेगा बल्कि इसके माध्यम से हमारा और हमारे देश का भविष्य चुना जायेगा।

मतदान करने का एक बहुत आसान और अच्छा तरीक़ा यही है कि आप अपने प्रत्याशी के पिछले कार्यकाल को देखिये। वह आप के इलाक़े से, आपकी लोकसभा और आप लोगों से कितना जुड़ा रहा है! आप ज़रूर देखिये कि क्या उसने तब आवाज़ उठाई है जब-जब आपको ज़रूरत पड़ी? और हाँ एक और बहुत ही महत्वपूर्ण बात कि चुनाव कोई भी हो उसको जाति, धर्म के आधार पर मत देखिये बल्कि उसे प्रत्याशी के कर्म के आधार पर देखिये कि उसने आप लोगों के लिए कितना कार्य किया है! जब हमारे किसी भी प्रिय मित्र या किसी सगे-संबंधी का एक्सीडेंट हो जाता है तो उस समय हम डॉक्टर की जाति या धर्म नहीं देखते बल्कि अच्छे से अच्छे डॉक्टर के पास ले जाते हैं और उसका अच्छे से अच्छा इलाज कराते हैं, जिससे वह जल्दी ठीक हो जाए। फिर हम अपने देश का प्रधानमंत्री चुनने के लिए क्यों अपने इलाक़े के सांसद प्रत्याशी को जाति या धर्म के नाम पर वोट दें? बल्कि वोट काम के नाम पर दें, विकास के नाम पर दें, क्योंकि जब कोई प्रधानमंत्री बनता है तो वह किसी पार्टी, जाति या धर्म का प्रधानमंत्री नहीं होता बल्कि पूरे देश का प्रधानमंत्री होता है। इसीलिए मतदान अवश्य करें क्योंकि आपका और हमारा एक मत हमारे देश की तक़दीर और तस्वीर दोनों बदल सकता है।

लेखक: मंज़ूर ख़ान (छात्र, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here