नई दिल्ली | भारत के प्रमुख मुस्लिम धार्मिक-सामाजिक संगठन जमाअत इस्लामी हिन्द के अध्यक्ष सय्यद सआदतुल्लाह हुसैनी ने एनआईए और ईडी द्वारा पीएफआई के कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों और कार्यालयों पर छापे की कार्रवाई की निंदा की है।
मीडिया को दिए एक बयान में, जमाअत अध्यक्ष ने कहा, “जमाअत इस्लामी हिन्द, एनआईए और ईडी द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कार्यालयों और उनके नेताओं पर की गई छापेमारी को लेकर चिंतित है।”
अपने बयान में जमाअत ने कहा है कि, एनआईए जैसी एजेंसियां उन लोगों की जांच कर सकती हैं जिनके खिलाफ उनके पास स्पष्ट सबूत हैं लेकिन ऐसी कार्रवाई निष्पक्ष और राजनीति से प्रेरित नहीं होनी चाहिए।
उनहोंने कहा कि, “क्या एनआईए और ईडी छापेमारी में मानक प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं? जिस तरह से एनआईए और ईडी ने पीएफआई को निशाना बनाकर एक साथ छापेमारी की है वह कई सवाल खड़े करता है।”
अपने बयान में जमाअत अध्यक्ष ने कहा कि, “एनआईए, ईडी, सीबीआई और पुलिस जैसी विभिन्न राज्य एजेंसियों के माध्यम से पिछले कुछ वर्षों में विपक्षी समूहों और नेताओं के खिलाफ केंद्र सरकार की एजेंसियों द्वारा कई कार्रवाइयों की पृष्ठभूमि में यह ऑपरेशन विशेष रूप से संदिग्ध हो जाता है।
”जमाअत ने कहा है कि, “यह हमारे लोकतांत्रिक संरचना को आहत कर रहा है और सत्ता में बैठे लोगों की आलोचना करने और उनका मूल्यांकन करने के नागरिकों के अधिकार को खतरे में डाल रहा है।”
उनहोंने कहा कि, “कार्रवाई इसलिए भी संदिग्ध हो जाती है कि खुले तौर पर नफरत फैलाने वाले और हिंसा में लिप्त कई समूहों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसलिए, ये छापे समाज के लिए असहज हैं और कई सवाल खड़े करते हैं।”
जमाअत ने सवाल किया कि, “क्या छापेमारी किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र को खुश करने के लिए है? अगर ऐसा है तो क्या यह एक तरह की तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति नहीं है?”
जमाअत अध्यक्ष ने कहा कि, “जमाअत इस्लामी हिन्द ऐसे सभी छापे और कार्रवाइयों की निंदा करती है जिसमें लोगों को अन्यायपूर्ण तरीके से उत्पीड़ित किया जाता है, भले ही वे विपक्ष, अल्पसंख्यक या समाज के किसी भी सामाजिक वर्ग के हों।”
मीडिया को जारी बयान में जमाअत ने कहा कि, “यदि राज्य की एजेंसियां उनके खिलाफ पक्षपातपूर्ण तरीके से बिना सबूत और बिना किसी औचित्य के जबरन कार्रवाई कर रही हैं, तो यह एक न्यायपूर्ण समाज के लिए बेहतर संकेत नहीं है।”
जमाअत इस्लामी हिन्द ने कहा कि वह कभी भी नफरत और हिंसा का समर्थन नहीं करती और स्पष्ट रूप से इसकी निंदा करती है।