सीएम लॉ कॉलेज, दरभंगा के उर्दू नेमप्लेट हटाने पर एसआईओ समेत कई अन्य संगठनों ने किया विरोध

एसआईओ दरभंगा ने सीएम लॉ कॉलेज का उर्दू नेमप्लेट हटाने पर विवि प्रशासन के अलावा बिहार सरकार से सिघ्र कार्यवाई की मांग की है। इसके अलावा बिहार यूथ आर्गेनाइजेशन और दूसरे कई संगठनों ने भी  कॉलेज प्रशासन द्वारा बिहार की दूसरी सरकारी भाषा उर्दू के अपमान पर विरोध जताया है 

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सीएम लॉ कॉलेज, दरभंगा के उर्दू नेमप्लेट हटाने से पूर्व की फाइल फोटो

सिर्फ उर्दू नाम को कॉलेज की पट्टी से नोंच कर नहीं फेंका गया बल्कि आपके वजूद को मिश्रित समाज से निकाल कर अलग-थलग किया गया है।

इस समय देश कोरोना महामारी से लड़ रहा है, लेकिन मिथिला के कुछ छात्र संगठन एवं राजनीतिक दल शिक्षण संस्थान में उर्दू भाषा के नाम पर साम्प्रदायिकरण का खेल खेलने में लगे हुये हैं। सम्प्रदायिकरण की इस जड़ में साफ-साफ बिहार सरकार की गठबंधन राजनीतिक पार्टियां नजर आ रही हैं।
उक्त बातें एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए एस आई ओ दरभंगा के जिला अध्यक्ष अमानुल्लाह और बीवाईओ दरभंगा के जिला सचिव अब्दुल मलिक ने संयुक्त प्रेस बयान जारी करते हुये कहा। आगे उन्होंने इस विषय पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि सीएम लॉ कॉलेज गेट से किस आधिकारिक आदेशानुसार उर्दू नेमप्लेट हटाया गया है? जबकि पूर्व से ही कॉलेज गेट पर हिन्दी के अलावा उर्दू भाषा में भी कॉलेज का नाम अंकित है। क्या लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो० बदरे आलम किसी के दबाव में काम कर रहे हैं? क्या विश्वविद्यालय प्रशासन ने गंगा-जमुनी तहजीब को तोड़ने के लिए सांप्रदायिकता फैलाने वालों के साथ हाथ मिलाया है? यह जबाब विश्वविद्यालय प्रशासन को देना होगा साथ ही लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल को बताना चाहिए आखिर घटना आगे कैसे और क्यों बढ़ गया। बिहार की दूसरी सरकारी भाषा उर्दू है फिर भी कॉलेज प्रशासन ने किस आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करते हुए किस कानून के‌ तहत उर्दू नेम प्लेट हटा दिया गया है।
उर्दू नेमप्लेट हटनर के बाद सी एम लॉ कॉलेज मुख्य द्वार का फाइल फोटो
अगर कॉलेज एवं विश्वविद्यालय प्रशासन जल्दी उर्दू नेम प्लेट नहीं लगाता है तो एस आई ओ
विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी। कानून के मंदिर में कॉलेज प्रशासन को कानून के हिसाब से काम करना चाहिए लेकिन इन्होंने खुलेआम कानून की अवहेलना की है। ऐसा लगता है कि नफरत को फलने-फूलने देने वाले लोगों को इस बात का ज्ञान नहीं है कि उर्दू बिहार की दूसरी सरकारी भाषा है। लेकिन फिर कुछ छात्र संगठन एवं राजनीतिक दल ने एक बार फिर इस घिनौनी हरकत कर कॉलेज को बदनाम करने का दुस्साहस किया है।
सभी भाषाओं का सम्मान हमारे देश की संस्कृति रही है, राष्ट्रीय भाषा हिन्दी के साथ-साथ उर्दू और दूसरी अन्य सभी भाषाएं हमारे समाज की साझी विरासत है। हिन्दी के साथ साथ उर्दू भी भारत की गोद में पली बढ़ी हैं। एक भरतीय नागरिक होने के नाते हम देश के राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सभी भाषाओं के रक्षक हैं। अपनी इस साझी विरासत को साम्प्रदायिकता की आड़ में खोने नहीं देंगे।
द्वारा जारी
SIO बिहार

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