एस.आई.ओ ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष नहास माला ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के अल्पसंख्यक दर्जे पर उत्पन्न विवाद को निराधार व त्रुटि पूर्ण बताया है|
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अनुसार “जामिया मिल्लिया इस्लामिया मुसलमानों के लिए उन्हीं के द्वारा स्थापित करी गई संस्थान है, और इसकी पहचान हमेशा से एक मुस्लिम संस्थान के तौर पर रही है, जो कभी खो नहीं सकती” उपरोक्त आधार संविधान के अनुच्छेद 30(1) तथा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग एक्ट के भाग 2(G)के अंतर्गत आता है|
एस.आई.ओ संविधान के अनुच्छेद 30 के अंतर्गत मुस्लिम समुदाय की तरफ़ से उनके इस अधिकार की मांग करता है जिसमें कहा गया है कि “सभी अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रुचि के शैक्षिक संस्थानों को “स्थापित” और “प्रशासन” करने का अधिकार होगा”|
उन्होंने कहा कि ” एस.आई.ओ को अदालत पर पूर्ण भरोसा है तथा हम आशा करते हैं कि उच्चतम न्यायालय मामले का संज्ञान लेगा तथा संविधान के अनुच्छेद 30 में वर्णित अधिकारों एंव इस संस्थान की स्थापना के विशिष्ट ऐतिहासिक संदर्भों पर विचार करते हुए कोई निर्णय लेगा| प्रारंभ से ही केंद्र सरकार का रवय्या जामिया मिल्लिया इस्लामिया के अल्पसंख्यक दर्जे को समाप्त करने का रहा है| जो कि ऐतिहासिक तथ्यों के साथ घोर उपेक्षा है| पहले भी जामिया मिल्लिया इस्लामिया के अल्पसंख्यक दर्जे को समाप्त करने संबंधी बयान आ चुके हैं |
एस.आई.ओ का दृढ़ विश्वास है तथा वह दावा करते हैं कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया के चरित्र को तब तक निर्धारित नहीं किया जा सकता जब तक कि उसकी स्थापना के “विशिष्ट ऐतिहासिक संदर्भों” को समझ न लिया जाए|