नई शिक्षा नीति 2015 के लिए सिफ़ारिशों पर आधारित विश्लेषणात्मक रिपोर्ट का विमोचन

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किसी भी देश के प्रगति की सम्पूर्ण विकास प्रक्रिया को चलाये रखने एवं उसके कल्याण के लिए शिक्षा का रोल अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। प्रगति एक सतत एवं कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया है। एक विशेष क्षेत्र में की गई एडवांस गतिविधि प्रगति एवं विकास को तेज़ी से आगे ले जाने के लिए नए दरवाज़े खोलती है। भारत सरकार ने 1986 में शिक्षा नीति का मसौदा तैयार किया था तथा वर्ष 1992 में इसे संशोधित भी किया। पिछले 22 वर्षों के दौरान हमने धीरे-धीरे लेकिन लगातार योजनाबद्ध सफर तय किया है। सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार दिसंबर 2015 में नई शिक्षा नीति बनाएगी। स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ इंडिया (SIO) ने 19 स्थानों पर ‘शिक्षा संवाद’, ऑनलाइन सर्वे के आयोजन तथा 20 शिक्षाविदों से विचार-विमर्श करके नई शिक्षा नीति 2015 के लिए सिफ़ारिशें तैयार की हैं। शिक्षा नीति की सिफ़ारिशों पर आधारित मसौदा स्कूली शिक्षा, अध्यापक शिक्षा, भाषा नीति, उच्च शिक्षा, तथा उच्च शिक्षा में तकनीकी शिक्षा एवं अनुसंधान जैसे वर्गों में विभाजित है।

महत्वपूर्ण सिफ़ारिशें:

  • शिक्षा नीति संवैधानिक मूल्यों विशेष रूप से चार मूलभूत सिद्धांतों को आत्मसात करने पर केन्द्रित होनी चाहिए।
  • शिक्षा नीति का उद्देश्य बिना किसी भेदभाव एवं स्तरीकरण के सभी को न्यायसंगत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना होना चाहिए।
  • सामाजिक समग्रता एवं राष्ट्रीय एकता को प्राप्त करने हेतु पाठ्यक्रम में भारत की विविधता भरी संस्कृति की झलक मिलनी चाहिए।
  • शिक्षा नीति का लक्ष्य 18 वर्ष से ऊपर की आयु तक के बच्चों को मुफ़्त एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना हो।
  • नई शिक्षा नीति को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्कूलों में विद्यार्थियों के स्वास्थ्य एवं भलाई के लिए शारीरिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिले।
  • प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए।
  • नई शिक्षा नीति में शिक्षा के व्यवसायिकरण के मुद्दे के समाधान का लक्ष्य होना चाहिए।
  • स्कूल के पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण होना चाहिए।
  • सभी बच्चों, चाहें वे किसी भी लिंग, जाति, जन्मस्थान, सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति के हों, के लिए न्यायसंगत एवं
  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित कराने के लिए पड़ोस के स्कूल प्रणाली की तर्ज़ पर भारतीय शिक्षा प्रणाली का पुनर्निर्माण एवं
  • पुनर्गठन होना चाहिए।

इसके अतिरिक्त अध्यापक शिक्षा एवं उच्च शिक्षा पर भी सिफ़ारिशें शामिल हैं। इस कार्यक्रम में इक़बाल हुसैन (राष्ट्रीय अध्यक्ष, एसआईओ ऑफ इंडिया), अलिफ़ शुकूर (महासचिव, एसआईओ ऑफ इंडिया) के अलावा तौसीफ़ अहमद मदिकेरी (राष्ट्रीय सचिव, एसआईओ), लईक़ अहमद ख़ान (राष्ट्रीय सचिव, एसआईओ) तथा डॉ पूनम बत्रा (प्रोफ़ेसर, दिल्ली विवि) आदि ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया।

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