हिंदुस्तानी समाज में एक आदर्श गांव की कल्पना

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हिंदुस्तानी समाज में एक आदर्श गांव की कल्पना सैय्यद अज़हरुद्दीन इंसान एक सामाजिक प्राणी है। वह अकेला जीवन नहीं गुज़ार सकता और न ही यह...

‘छात्र राजनीति वास्तव में छात्रों के कल्याण की राजनीति है’; जयपुर में छात्र संसद...

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स्टूडेंटस इस्लामिक ऑर्गेनाईजेशन ऑफ इंडिया की राजस्थान ईकाई के तत्वाधान मे जयपुर में ‘छात्र संसद’ का आयोजन किया गया। इस छात्र संसद में छात्र...

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विशेष: मिलिए हिजाबी पायलट सलवा फ़ातिमा से

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सलवा फ़ातिमा का कहना है कि उन्होंने पायलट बनने का सपना ज़रूर देखा था लेकिन उन्हें विश्वास नहीं था कि यह सपना सच हो जाएगा। क्योंकि उनके पिता को दो वक़्त की रोटी के लिए पूरी ताक़त से संघर्ष करना पड़ता था। वह आगे बताती हैं कि कुछ लोग ऐसे थे जो हमेशा कहते थे कि मैं एक महिला हूं और मुझे शादी के बाद घर और बच्चों की देखभाल करनी है, यह प्रयास व्यर्थ है। लेकिन न केवल मेरे माता-पिता बल्कि मेरे पति और ससुराल वालों ने भी मुझे हर क़दम पर प्रोत्साहित किया।

‘विश्व हिजाब दिवस’ : इस्लाम में परदे का विचार और आज़ादी की आधुनिक बहस

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पूरी दुनिया में आज़ादी की बहसों और तमाम देशों द्वारा इस वैश्विक सिद्धांत को स्वीकार करने के बावजूद आज औपनिवेशक शक्तियों द्वारा मुसलमानों को...

जामिया में नए अकादमिक सत्र की घोषणा, फ़ीस बढ़ोत्तरी के कारण छात्रों में रोष

“मेरे पिता दिहाड़ी मज़दूर हैं, और उन्हें 12 अप्रैल के बाद से अब तक कोई काम नहीं मिला। मेरे घर में खाने-पीने की समस्या...

कॉमेडी की आड़ में कटाक्ष है ‘कटहल’

फ़िल्म उन सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक मुद्दों की पड़ताल करती है जो मध्य भारत के अंदरूनी इलाक़ों में प्रचलित हैं, जहां कटहल की चोरी जैसे अपराध की जांच की जानी चाहिए, और इसे किसी भी हालत में नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि ग़ायब हुआ कटहल किसी मामूली व्यक्ति का नहीं बल्कि एक राजनेता का है।

क्या वेब सीरीज़ की गालियां सुनकर आपके कान भी अब लाल नहीं होते?

पिछले दिनों किसी ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर आ रही एक वेब सीरीज़ में जब पहली बार एक गंदी गाली सुनी तो मेरे कान लाल हो...

जानिए कौन हैं अली मानिकफ़न जिन्हें पाकर पद्मश्री भी धन्य हो गया!

लक्षद्वीप के मिनिकॉय द्वीप में रहने वाले अली मानिकफ़न उन 102 प्रतिष्ठित भारतीयों में से एक हैं, जिन्हें इस वर्ष देश के चौथे सर्वोच्च...

जानें जेएनयू छात्रसंघ चुनाव के नतीजे

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6 सितंबर को जेएनयू में छात्रसंघ चुनावों के लिए मतदान हुआ था। इसी दिन जेएनयू के दो विद्यार्थियों द्वारा दाखिल की गई पेटिशन के...

हिंदी में परोसी जा रही नफ़रत का सामना हिंदी में ही संभव है

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अगर नफ़रत संगठित रूप से किसी भाषा के कंधे पर सवार होकर पांव फैला रही है तो प्रेम और सौहार्द की बातें करने वालों को और अधिक संगठित होकर उसी भाषा में मेल-मिलाप की बातें करनी होंगी।