मालिक बिन नबी : एक आधुनिक इस्लामी सामाजिक विचारक

0
मालिक बिन नबी का जन्म 1905 में कॉन्सटेंटाइन, अल्जीरिया में हुआ और 1973 में अल्जीरिया ही में उनके घर में उनकी मृत्यु हुई। वे...

ईद-उल-अज़हा का असल पैग़ाम

0
ईद-उल-अज़हा का एक बड़ा पैग़ाम ये है कि जिस तरह हम जानवर पर नियंत्रण हासिल करते हैं, उसे अल्लाह के नाम पर क़ुर्बान करते हैं और अपने लिए, दूसरे इंसानों के लिए और वंचितों और ग़रीबों के लिए उसमें हिस्सा निकालते हैं, ठीक उसी तरह उन संसाधनों पर भी नियंत्रण हासिल करें जो अल्लाह ने हमारे लिए पैदा किए हैं और उन्हें अल्लाह की मर्ज़ी के मुताबिक़ इंसानों के फ़ायदे के लिए, उनकी समस्याओं के हल के लिए इस्तेमाल करें।

चे ग्वेरा के बहाने सलाहुद्दीन अय्यूबी की याद

0
जो काम आधुनिक युग में चे ग्वेरा ने अमेरिकी साम्राज्यवाद को चुनौती देकर किया था, उससे बड़ा कारनामा सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी क़रीब आठ सदी पहले ज़बरदस्त ढंग से कर चुके थे, जिसकी कसक सदियों तक यूरोपीय देशों को रही।

भारतीय शिक्षा व्यवस्था और कहानी “6%” की

पिछले दो दशकों में भारत के शिक्षा क्षेत्र में स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और नामांकन के मामले में बड़े पैमाने पर विस्तार हुआ है। इस विस्तार ने दो समस्याएं उत्पन्न कीं :- न्यायसंगत हिस्सेदारी (इक्विटी) और गुणवत्ता की कमी। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए  देश की शिक्षा व्यवस्था को उचित धन ख़र्च करने की आवश्यकता है। शिक्षा क्षेत्र के लिए बजट इस दिशा में पहला क़दम हो सकता है।

इस्लाम के सांस्कृतिक पक्ष को उजागर करती एक किताब

लेखक बताता है कि इस्लामी सभ्यता की छाया में विज्ञान, कला, अनुसंधान और आविष्कार की एक अनूठी आकाशगंगा अस्तित्व में आती है जहां लोगों को विचार करने और उन्हें व्यक्त करने की आज़ादी होती है। लोगों को बहुत से अवसर उपलब्ध होते हैं, जिनके परिणामस्वरूप नवाचारों की एक नई दुनिया सामने आती है और ऐसे आविष्कार होते हैं जो मानव जाति के लिए केवल लाभदायक सिद्ध होते हैं, जिनसे किसी नुक़सान या बुराई का डर नहीं होता।

2016-19 के बीच 5922 लोग यूएपीए के तहत गिरफ़्तार, 132 को सज़ा : केंद्र...

0
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 से 2019 के बीच देश में ग़ैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम...

जेएनयू कैंपस मे नई राजनीति का सपना : एक संदेश

0
दलित, बहुजन, मुस्लिम और अन्य उत्पीड़ित समुदायों की एकजुटता का एक लंबा इतिहास रहा है। पिछली सदी में दलित, बहुजन, मुस्लिम एकजुटता के विचारों...

डीयू के इंद्रप्रस्थ कॉलेज में उत्पीड़न का मामला, छात्राओं का प्रदर्शन जारी

डीयू के इंद्रप्रस्थ कॉलेज में उत्पीड़न का मामला, छात्राओं का प्रदर्शन जारी रिपोर्ट: उवैस सिद्दीक़ी नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के इंद्रप्रस्थ कॉलेज फ़ॉर विमेन (आईपीसीडब्ल्यू) की...

दूसरा रास्ता (लघुकथा)

दूसरा रास्ता (लघुकथा) सहीफ़ा ख़ान दो मिनट पहले तक ख़ुशी में झूम रही सीमा अब दहशत में सुनसान सड़क पर अपनी ट्रॉफ़ी हाथ में लिए भाग...

गीता प्रेस ने प्रतिगामी, प्रतिक्रियावादी और सांप्रदायिक ‘हिन्दू’ का निर्माण किया है

हिंदी भाषी क्षेत्र में आरएसएस-भाजपा की सफलता में गीता प्रेस का योगदान हम भले न पहचानें, आरएसएस-भाजपा अवश्य पहचानती है और इसी अतुलनीय योगदान के लिए गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस को दिया जा रहा है। गांधी शांति पुरस्कार इसलिए कि गांधी के नाम के आवरण में गीता प्रेस की प्रतिगामी भूमिका को ढका जा सके और गीता प्रेस को गांधी से जोड़कर एक बार फिर से गांधी को सनातनी हिंदू सिद्ध किया जा सके।