भारत में धर्म परिवर्तन और समकालीन चुनौतियाँ – १

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धर्म परिवर्तन आज के दौर में चर्चा करने के लिए एक मुश्किल विषय है। इसकी वजह सिर्फ़ ये नहीं कि माहौल डरावना और भयभीत...

कोरोना काल में ईद की नमाज़ घर में या ईदगाह में?

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कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया में बरपा है। कई देशों में कोरोना की दूसरी लहर भी आ चुकी है, जो पहली लहर से...

क़ुरआन – रमज़ान – रोजा – हिदायत – तकवा!

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रमज़ान के पवित्र महीने का पहला ‘अशरा’ यानी शुरूआती दस दिन बीत चुकें हैं। यह पवित्र महीना इंसानों के आध्यात्मिक प्रशिक्षण का महीना है। ...

ये वक़्त ख़ुदा की तरफ़ पलटने का है

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पिछले कुछ दशकों में इंसान ने जो तरक़्क़ी की है, उतनी तरक़्क़ी पिछली कई सदियों में भी नहीं हुई। भौतिक सुख-सुविधाओं से सुसज्जित जीवन,...

बुर्क़ा पहनी लड़की को डिग्री देने से किया मना, एसआईओ ने जताया विरोध

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बीते दिनों राँची शहर के प्रसिद्ध कॉलेज मारवाड़ी कॉलेज में ग्रेजुएशन सेरेमनी में एक मुस्लिम छात्रा को सिर्फ बुर्का पहनने की वजह से डिग्री...

भारत में धर्म परिवर्तन और समकालीन चुनौतियाँ – २

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धर्म परिवर्तन का मुद्दा भारत जैसे विविधता पूर्ण देश में हमेशा ज्वलंत रहा है। हाल ही में हुई कुछ घटनाओं ने इसे एक बार...

ईद-उल-अज़हा का असल पैग़ाम

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ईद-उल-अज़हा का एक बड़ा पैग़ाम ये है कि जिस तरह हम जानवर पर नियंत्रण हासिल करते हैं, उसे अल्लाह के नाम पर क़ुर्बान करते हैं और अपने लिए, दूसरे इंसानों के लिए और वंचितों और ग़रीबों के लिए उसमें हिस्सा निकालते हैं, ठीक उसी तरह उन संसाधनों पर भी नियंत्रण हासिल करें जो अल्लाह ने हमारे लिए पैदा किए हैं और उन्हें अल्लाह की मर्ज़ी के मुताबिक़ इंसानों के फ़ायदे के लिए, उनकी समस्याओं के हल के लिए इस्तेमाल करें।

प्रतिरोध- दावत का एक अनोखा तरीका

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सैयद अज़हरुद्दीन फिलिस्तीन मुद्दे पर पिछले सात दशकों से दुनिया भर में लोग चर्चा करते रहे हैं, आए दिन ये मुद्दा मुख्यधारा मीडिया की सुर्खियां...

हिंदुस्तानी समाज में एक आदर्श गांव की कल्पना

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हिंदुस्तानी समाज में एक आदर्श गांव की कल्पना सैय्यद अज़हरुद्दीन इंसान एक सामाजिक प्राणी है। वह अकेला जीवन नहीं गुज़ार सकता और न ही यह...

नफ़्स के साथ जिहाद का महीना है रमज़ान

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नफ़्स के साथ जिहाद का महीना है रमज़ान डॉ. हसन रज़ा रोज़ा वास्तव में अपने नफ़्स (आत्म) से जिहाद है। अपने नफ़्स को क़ाबू में रखने...