टीवी ऑन करने पर
बहुत सा शोर टकराता है
कानों से ।
कोई एक खेल खेला जा रहा है ।
इधर एक एंकर सीटी बजाता है
उधर आरोप प्रत्यारोप की एक होड़ का
आरंभ होता है ।
कितनी देर में एक दूसरे पर
कौन कितने इल्ज़ाम धर लेगा ।
तभी झटके से ब्रेकिंग न्यूज़ बनकर
कोई सुर्ख़ी उभरती है ।
मैं नज़रें गाढ़ देता हूं
‘ ट्रेन ने कुचला है लगभग सौ मनुष्यों को ‘
एंकर लौट आता है बता कर एक झटके में ।
दोबारा से बहस आरंभ करता है ।
वह सीटी बजाता है ।
तभी सरकारी प्रवक्ता
अपने साथ जो लाया था वह
गठरी पटखता है ।
बहुत सी योजनाएं झनझना कर
गिरती हैं टेबल पर
डिजिटल योजनाएं हैं ।
‘ किसानों और गरीबों के लिए ‘
‘वास्ते महिलाओं के , छात्रों के , नौजवानों के ‘
प्रवक्ता मुस्कुराता है
वक्ता चीखता है , अपनी आंखें लाल करता है।
सुर्खी फिर उभरती है
‘ भूक ने निगला तीन मासूम बच्चों को ‘
‘ हमारे देश की जगमगाती राजधानी में ‘
मैं आंखें बंद कर लेता हूं गुस्से में
तभी कार्टून की शौकीं मेरी बेटी
मेरे हाथों से लेकर के रिमोड
चैनल चेंज करती है
अब कार्टून हैं टीवी के पर्दे पर ।।।
लेखक : नज्म