बिहार दिवस विशेष: भारतीय इतिहास की मज़बूत जड़ों में है बिहार

बारी अंग्रेज़ों से संघर्ष की आई तो भला फिर बिहार कैसे पीछे रह सकता था! वीर कुंवर सिंह, पीर मुहम्मद मूनिस, रास बिहारी, मौलाना मज़हरुल हक, बैकुंठ शुक्ल जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को कौन भूल सकता है! अहिंसा के प्रतीक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जब दक्षिण अफ़्रीका से लौटे तो उन्होंने अपने सत्याग्रह की शुरुआत बिहार के चंपारण से की।

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बिहार दिवस विशेष: भारतीय इतिहास की मज़बूत जड़ों में है बिहार

मंज़र आलम

“एक बिहारी सब पर भारी” का नारा बिहार वासियों में आज भी नया जोश भर देता है। और आख़िर हो भी क्यों न! बिहार का गौरवशाली अतीत काफ़ी समृद्ध रहा है। महात्मा बुद्ध और स्वामी महावीर ने यहां से दुनिया को सत्य-अहिंसा का संदेश दिया तो सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह की जन्मस्थली होने का गौरव भी बिहार को प्राप्त है। सूफ़ी संत याहया मनेरी की पावन भूमि भी बिहार रही है।

दुनिया में बिहार की पहचान न सिर्फ़ धर्म से है बल्कि ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में भी बिहार प्रसिद्ध है। यहां आर्यभट्ट जैसे महान गणितज्ञ पैदा हुए हैं। यहां विश्व प्रसिद्ध नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की गई, जहां हज़ारों की संख्या में विद्यार्थियों ने ज्ञान प्राप्त किया।

दुनिया को लोकतंत्र का संदेश देने का श्रेय भी बिहार को प्रात है, जहां सर्वप्रथम वैशाली में गणतंत्र की नींव डाली गई। भारतीय इतिहास से जुड़ी प्रमुख हस्तियों में चंद्रगुप्त मौर्य, समुद्रगुप्त, विक्रमादित्य, अशोक, बिंदुसार, बिम्बिसार जैसे नाम शामिल हैं जिनका संबंध बिहार की धरती से रहा है। नंद वंश के धनानंद ने जब चाणक्य का अपमान किया तो उन्होंने अपनी बुद्धि कौशल से न केवल नंद वंश का अंत किया बल्कि उसकी जगह पर एक ऐसे वंश की स्थापना की जिसमें चन्द्रगुप्त मौर्य व सम्राट अशोक जैसे महान शासक हुए। रणनीति और कूटनीति में अपना लोहा मनवाने वाले चाणक्य का लिखा “अर्थशास्त्र” आज भी एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। चाणक्य को कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है।

मुग़ल शासक बाबर ने हिंदुस्तान में मुग़ल साम्राज्य की नींव रखी परंतु उनके बेटे हुमायूं को बिहार के शेरशाह ने चौसा के युद्ध में पराजित किया। शेरशाह सूरी ने जनहित के कई कार्यों के साथ ही प्रसिद्ध ग्रैंड ट्रंक रोड बनवाया।

बारी अंग्रेज़ों से संघर्ष की आई तो भला फिर बिहार कैसे पीछे रह सकता था! वीर कुंवर सिंह, पीर मुहम्मद मूनिस, रास बिहारी, मौलाना मज़हरुल हक, बैकुंठ शुक्ल जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को कौन भूल सकता है! अहिंसा के प्रतीक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जब दक्षिण अफ़्रीका से लौटे तो उन्होंने अपने सत्याग्रह की शुरुआत बिहार के चंपारण से की। भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर 1946 को आयोजित हुई तो उसके अस्थायी अध्यक्ष बिहार के सच्चिदानंद सिन्हा को बनाया गया। गांधी जी के साथ क़दम से क़दम मिलाकर चलने वाले सादगी की प्रतिमूर्ति राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बने जिनका संबंध बिहार के जीरादेई से था।

देश में जब आपातकाल घोषित कर जब लोकतंत्र को क्षति पहुंचाने की कोशिश की गई तो बिहार की धरती पर जय प्रकाश नारायण ने “सम्पूर्ण क्रांति” का नारा देकर छात्र-जन आंदोलन का शंखनाद किया।

1‌ अप्रैल 1912 को ब्रिटिश शासन ने बिहार को बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग राज्य के रूप में चिन्हित किया। 22 मार्च 1936 में बिहार और उड़ीसा का विभाजन हुआ।‌ पुनः 15 नवंबर 2000 में बिहार को विभाजित कर झारखंड बनाया गया। वर्तमान में बिहार की चौहद्दी इस प्रकार है कि राज्य के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में झारखंड, पूरब में पश्चिम बंगाल और पश्चिम में उत्तर प्रदेश है। बिहार का क्षेत्रफल लगभग 94163 वर्ग किलोमीटर है तथा वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की जनसंख्या 103,804,637 है। राज्य में कुल 38 ज़िले हैं और पटना बिहार की राजधानी है। यहां की मुख्य भाषा हिंदी‌ और द्वितीय राजभाषा उर्दू है। बिहार के पटना में एशिया का सबसे बड़ा पुल गांधी सेतु स्थित है तो एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला सोनपुर (बिहार) में लगता है। बिहार के मुज़फ्फरपुर की लीची, हाजीपुर का केला, सिलाव का खाजा प्रसिद्ध है। बिहार का प्रसिद्ध व्यंजन लिट्टी-चोखा है। सिल्क सिटी‌ ऑफ़ बिहार कहा जाने वाला भागलपुर रेशमी कपड़े बनाने के लिए मशहूर है। वर्तमान भारतीय राजनीति में बिहार अपनी अलग ही पहचान रखता है। यहां लोकसभा की 40 और राज्यसभा की 16 सीटें हैं। वहीं विधानसभा की 243 और विधान परिषद् की 75 सीटें हैं। देश की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष बनने का श्रेय भी बिहार की मीरा कुमार को जाता है।

बिहार की प्रतिभा ने देश-दुनिया में अपनी क़ाबिलियत से कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को बिहार दिवस का आयोजन कर बिहारवासी जहां अपने गौरवमयी अतीत को याद करते हैं, वहीं विकास और समृद्धि की ऊंचाइयों को छूने का संकल्प भी लेते हैं।

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