दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में पत्रकारों की यह दुर्दशा क्यों?

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पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना गया है। इसने देशों के उतार-चढ़ाव में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। हर दौर में इस पेशे...

स्वतंत्र पत्रकारिता पर सरकारी दबाव और खोखला नेशनल प्रेस डे

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हर बार की तरह इस बार भी ‘नेशनल प्रेस डे’ आया और बीत गया। इतना ज़रूर हुआ कि ‘प्रेस फ़्रीडम इंडेक्स’ पर अख़बारों और...

यूपी पुलिस द्वारा पत्रकारों की गिरफ़्तारी पर कुछ गंभीर प्रश्न!

उत्तर प्रदेश पुलिस ने शनिवार को तीन पत्रकारों प्रशांत कनौजिया, इशिका सिंह और अनुज शुक्ला को गिरफ़्तार किया. पत्रकार कनौजिया को उनके ट्वीट के लिए...

केंद्र ने मलयालम समाचार चैनल मीडिया वन के प्रसारण को फिर रोका

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केंद्र सरकार ने मलयालम भाषा के लोकप्रिय समाचार चैनल मीडिया वन के प्रसारण पर एक बार फिर रोक लगा दी है। मीडिया वन के संपादक...

फ़ीस बढ़ोत्तरी के खिलाफ IIMC छात्रों ने किया ‘PROTEST’ का आह्वान।

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इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (IIMC), नई दिल्ली के छात्र ट्यूशन फीस, हॉस्टल और मेस चार्ज में बढ़ोत्तरी के खिलाफ कैंपस में 3 दिसंबर...

फेसबुक, डिजिटल मानवाधिकार और नार्सिसिज़्म!

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मैकलुहान के शब्दों में कहें तो "मनुष्य तो मशीनजगत का सेक्स ऑर्गन है." डिजिटल मानवाधिकार इससे आगे जाता है और गहराई में ले जाकर मानवीय...

मंगलूर में CAA और NRC विरोधी प्रदर्शन पर पुलिस की बर्बरता!

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CAA कानून बनने के बाद से मंगलूर में, CAA और NRC के खिलाफ विभिन्न छात्र संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रोटेस्ट किए हैं. लेकिन 19...

स्वतंत्रता आंदोलन और मौलाना आज़ाद का अल-हिलाल

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आज की पत्रकारिता को मौलाना के विचारों के अनुसार ख़ुद का आंकलन करने की ज़रूरत है जोकि सत्ताधारी और पूंजीवादियों की ग़ुलामी में अपना सब कुछ ख़त्म करने में लगे हैं। मौलाना पत्रकारिता और पत्रकार को बहुत इज़्ज़त की नज़रों से देखते थे। उनका मानना था कि अख़बार और पत्रकार किसी भी समाज या देश का सच्चा तर्जुमान होते हैं और उसी की तर्जुमानी का हक़ अदा करते हैं।

अडानी, NDTV और पत्रकारिता

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NDTV की लगभग 29 प्रतिशत हिस्सेदारी अडानी समूह ने ख़रीद ली है, ख़रीदने के लिए जो तरीक़ा अपनाया गया, उसे फ़िलहाल ग़लत कहा जा...

वर्ल्ड प्रेस फ़्रीडम इंडेक्स में 11 पायदान लुढ़क कर 161वें स्थान पर पहुंचा भारत

रिपोर्ट के मुताबिक़, 2023 के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत पिछले साल की तुलना में 11 पायदान गिरकर 161 वें स्थान पर पहुंच गया है। पिछले साल 180 देशों की सूची में भारत को 150 वां स्थान दिया गया था। इंडेक्स के मुताबिक़ अब भारत, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान से भी कई पायदान पीछे है। इन दोनों देशों की रैकिंग में सुधार हुआ है और ये क्रमशः 150 और 152 वें स्थान पर पहुंच गए हैं।