Sulli Deals के मास्टरमाइंड अब Bulli Bai के माध्यम से मुस्लिम महिलाओं पर हमले कर अपनी कुंठित मानसिकता ज़ाहिर कर रहे हैं। मुस्लिम महिलाओं की पिछले कुछ वर्षों में हर मैदान में बढ़ती भागीदारी और फ़ासीवादी सत्ता को ललकारती नारी उन्हें रास नहीं आती।
मुस्लिम महिलाएं जहां बैठ गईं, वहां ऐतिहासिक आंदोलन ने जन्म लिया। मुस्लिम महिलाओं ने जब फ़ासीवादी पुलिस को ललकारा तो वह ऐतिहासिक आंदोलन का प्रतीक बन गया, जब मुस्लिम महिलाओं ने नारा लगाया तो वह प्रतिरोध की आवाज़ बन गया और जब संविधान की रक्षा की शपथ ली तो देशभर में संविधान की प्रस्तावना पढ़ी जाने लगी।
मुस्लिम महिलाओं ने कमज़ोर होते लोकतंत्र को एक नई दिशा दी, एक नई ऊर्जा दी, एक नया मार्ग प्रशस्त किया जिस पर चल कर संविधान और लोकतंत्र को बचाना मुमकिन दिखाई देने लगा। मुस्लिम महिलाओं ने अपने संघर्ष के माध्यम से देश के विपक्ष को आईना दिखाया कि टीका, तिलक और टोपी की सियासत से दूर एक नई लाइन भी खींची जा सकती है और सत्ता द्वारा चलाए गए प्रोपगंडे को अपने पैरों तले किस प्रकार कुचला जा सकता है।
ऐसे में उन स्त्री विरोधी ताक़तों को जो कथित रूप से सत्ता द्वारा प्रायोजित हैं उन्हें अपनी रणनीति फ़ेल होती दिखाई देने लगी। संविधान की प्रस्तावना को धूमिल करने का ख़्वाब टूटता दिखाई देने लगा।
जब मुस्लिम महिलाएं संविधान विरोधी ताक़तों के लिए एक बड़ी चुनौती बनती दिखाई दीं जिन्हें किसी भी प्रकार पराजित कर पाना मुश्किल था, तो उन्होंने वो रास्ता चुना जो हमेशा से हारी हुई विचाधारा का होता है। उन्होंने स्त्रियों के चरित्रहनन का खेल शुरू किया। मुस्लिम महिलाओं का अपमान करना शुरू कर दिया।
शायद उन्हें लगता है कि वे मुस्लिम महिलाओं को अपमानित कर के उन्हें हतोत्साहित कर देंगे, उनके हौसलों को कमज़ोर कर देंगे, उनके प्रतिरोध को रोक देंगे, मगर सच्चाई ये है कि वे मुस्लिम महिलाओं के दृढ़ निश्चय से डरते हैं, वे मुस्लिम महिलाओं की वाकपटुता से ख़ौफ़ खाते हैं, वे मुस्लिम महिलाओं के लोकतांत्रिक नज़रिए की लड़ाई में अपनी पराजय देखते हैं। वे मुस्लिम महिलाओं के नारों में अपनी हार को साफ़ देख पाते हैं। इसलिए वे मुस्लिम महिलाओं को अपमानित कर के अपनी हार से मुंह छिपाना चाहते हैं।
– मसीहुज़्ज़मा अंसारी
dar haqeeqat