सीरिया: बीते दस सालों में युद्ध की चपेट में आए 12000 बच्चे

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अरब स्प्रिंग के बाद सीरिया में तानाशाही के ख़िलाफ़ उठे विद्रोह को दबाने के लिए बशर अल-असद द्वारा अपने ही लोगों के ख़िलाफ़ छेड़े गए युद्ध को एक दशक बीत चुका है, और इस युद्ध ने दुनिया के सामने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा शरणार्थी संकट खड़ा कर दिया है।

बीते दस वर्ष सीरिया के लोगों और विशेष तौर पर वहां के बच्चों के लिए अत्यंत घातक और भारी साबित हुए हैं। उनकी कहानियों को मिडिल ईस्ट में बड़े पैमाने पर चलने वाले युद्ध के बीच कहीं गुम कर दिया गया है।

यूनिसेफ़ की हालिया रिपोर्ट इस मुद्दे पर ज़रूर कुछ प्रकाश डालती है और काफ़ी चिंताजनक आंकड़ों का ख़ुलासा हमारे सामने करती है। इस रिपोर्ट के अनुसार बशर अल-असद शासन द्वारा छेड़े गए इस युद्ध में कम-से-कम 12,000 बच्चे अपनी जान गंवा चुके हैं।

यूएन महासचिव कहते हैं कि सीरिया के कम-से-कम 50 प्रतिशत बच्चों के लिए हर आने वाली सुबह युद्ध की सुबह ही होती है और कम-से-कम 60 प्रतिशत बच्चे इस समय भुखमरी की कगार पर हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इस समय सीरिया में 500,000 से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। इसके अलावा रिपोर्ट यह भी बताती है कि तीन मिलियन से अधिक सीरियाई बच्चे अपनी शिक्षा जारी रख पाने में सक्षम नहीं हैं, जिनमें लगभग 40 प्रतिशत लड़कियां हैं। अब तक 1300 से अधिक शैक्षणिक और स्वास्थ्य संस्थान इस युद्ध की चपेट में आ चुके हैं।

मत्यु दर की बात करें तो रिपोर्ट में ख़ुलासा किया गया है कि वर्ष 2011 से 2020 तक लगभग 12,000 बच्चे या तो अपनी जान गंवा चुके हैं या घायल हुए हैं।

सीरियाई बच्चों पर लगातार चल रहे युद्ध के प्रभाव को देखते हुए यूनिसेफ़ की रिपोर्ट ने इस तथ्य को भी उजागर किया है कि वर्ष 2020 में मनोवैज्ञानिक तनाव प्रर्दशित करने वाले बच्चों की संख्या दोगुनी हो गई थी, क्योंकि हिंसा, सदमे और आघात से गुज़रते हुए उनके मानसिक स्वास्थ्य पर काफ़ी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

दिन-प्रतिदिन बिगड़ती और ख़तरनाक होती जा रही स्थिति और हिंसा से बचने के लिए लाखों बच्चे अपने परिवारों के साथ विस्थापन का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। विपरीत परिस्थितियों के साथ-साथ वे टेन्टों और टूटी हुई इमारतों में मौसम की मार भी झेलते हैं।

सीरियाई बच्चों और उनके परिवारों के लिए दीर्घकालिक समाधानों की आवश्यकता पर बात करते हुए, यूनिसेफ़ की इस रिपोर्ट ने और अधिक विवरण देते हुए, इस अवधि के दौरान पड़ोसी देशों द्वारा झेली गई परेशानियों का भी उल्लेख किया है। इसी रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में सीरियाई शरणार्थियों की कुल संख्या का 83 प्रतिशत भाग यानि शरणार्थी बच्चों की संख्या 2012 के बाद से दस गुना से बढ़कर 2.5 मिलियन हो गई है। सीरियाई शरणार्थियों ने 125 से अधिक देशों में आश्रय लिया है, लेकिन अधिकांश क्षेत्र तुर्की, लेबनान, जॉर्डन, इराक़ और मिस्र जैसे पड़ोसी देशों में रहते हैं। अकेले तुर्की में 3.6 मिलियन से अधिक आबादी रहती है।

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