पहलू ख़ान का हत्यारा कौन?

आखिर कब तक निर्दोष इंसानो का लहू इसी तरह बहता रहैगा आखिर कब तक इसी तरह अपराधी खुल्लम खुल्ला अपनी हैवानियत का नंगा नाच करके खुले आम घूमते रहेंगे?

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हलू ख़ान जिसके इंसाफ़ के लिए पूरे हिंदुस्तान से नफरत के खिलाफ और निर्दोष लोगो की इस हत्या के खिलाफ इंसानियत के पेरोकार लोगो ने कोर्ट से यह उम्मीद जाहिर की थी कि पहलू ख़ान के परिवार को इंसाफ़ मिलेगा लेकिन ऎसा हुआ कुछ नहीं जब आज यह खबर हिंदुस्तान मे फैली कि पहलू ख़ान के आरोपियों को सबूतो के अभाव मे रिहा कर दिया गया जबकि सबूत के तोर पर मारा पीटी करने वाले नफरत के सौदागर लोगो ने खुद वीडियो बना कर उसे वायरल किया था लेकिन हुआ वही जो आज तक होता आया है क्योंकि पहलू खां एक मुस्लिम था।

क्या किसी घटना का वीडियो क्लिप से बढ़ कर कोई सबूत हो सकता है?

एक अप्रैल, 2017 को हरियाणा के नूह मेवात जिले के जयसिंहपूरा गांव निवासी पहलू ख़ान अपने दो बेटों उमर और ताहिर के साथ जयपुर के पशु हटवाड़ा से दुधारू पशु खरीदकर अपने घर जा रहा था. इस बीच अलवर के बहरोड़ पुलिया के पास भीड़ ने गाड़ी को रुकवा कर पहलू और उनके बेटों से मारपीट की थी. सूचना पर पहुंची पुलिस ने पहलू ख़ान को बहरोड़ के एक अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान 4 अप्रैल 2017 को उनकी मौत हो गई थी.

दो अप्रैल 2017 को बहरोड़ थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था. जांच के बाद पुलिस ने कोर्ट में विपिन, रवींद्र, कालूराम, दयानंद और योगेश कुमार के खिलाफ चार्जशीट 31 मई 2017 को पेश की थी. इसके बाद पुलिस ने दीपक गोलियां और भीमराठी को भी आरोपी मानते हुए सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी. उन्होंने बताया कि एडीजे कोर्ट में पुलिस द्वारा चार्जशीट पेश होने के बाद लगातार सुनवाई हुई. पहलू ख़ान के बेटों सहित 44 लोगो के बयान हुए थे।

बचपन से एक बात पढ़ते और देखते हुए आ रहा हूँ कि लोकतांत्रिक व्यवस्था की कल्पना तब तक नहीं की जा सकती जब तक न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं हो और यदि किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था मे जालिम को सजा ना मिले और मज़लूम को इंसाफ़ तो वो लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं हो सकती।

अनगिनत कई इस तरह के उदाहरण है जहां मुसलमान सब जगह से निराश होकर न्यायपालिका से इंसाफ़ की उम्मीद करता है और यही कारण है कि लाखो जख्म सीनो पर होने के बाद भी हमारा यह भरोसा अभी तक कायम है लेकिन इतिहास गवाह है कि मुसलमान को मारा जाता रहा है और अपराधी हमेशा कोर्ट से सबूत के अभाव मे, कभी गवाह के अभाव मे बरी होता हुआ आया है आखिर यह ना इंसाफी कब तक हुकूमत की मिलीभगत हमेशा इसका कारण बनी कांग्रेस और भाजपा ने एक सिक्के के दो पहलू रूप इख्तियार करके हमेशा मुसलमानो को जुल्मों का शिकार बनाया है पूरा हिंदुस्तान इस केस को देख रहा था।

कुछ फर्जी गौभक्त और देशभक्ति का दिखावा करने वालों ने इस कत्ल पर खुल्लमखुल्ला खुशियां मनायी और अपराधियों के पक्ष मे नारे बाजी करके उनके इस घिनोने कृत्य को सही ठहराया लेकिन जब आज फैसला हुआ तब भी जम कर जय श्री राम के नारो से अपराधियों की वकालत हुई यह सब उदाहरण किस और इशारा करते है क्या यह एक सोची समझी चाल नहीं थी

आखिर कब तक निर्दोष इंसानो का लहू इसी तरह बहता रहैगा आखिर कब तक इसी तरह अपराधी खुल्लम खुल्ला अपनी हैवानियत का नंगा नाच करके खुले आम घूमते रहेंगे?

पहलू ख़ान का हत्यारा आखिर कोई ना कोई तो है उन बेबस परिवार वालों का अब क्या होगा अब वो कहा से उम्मीद लगाएंगे अभी कुछ भरम बाकी है हाई कोर्ट मे अपील करेंगे और फिर अगर वहा से भी नाइंसाफी मिली तो सुप्रीम कोर्ट तक और इस तरह पहलू ख़ान की एक नस्ल खत्म हो जाएगी, बस रह जाएगी तो
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तारीख़ पर तारीख़
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लेकिन इंसाफ़ नहीं मिलेगा!!

 

– हैदर अली अंसारी

(लेखक पैशे से अध्यापक और समाज सेवक हैं)

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