वो आविष्कार जो हमारे पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया !

0
363

प्लास्टिक निश्चित रूप से एक यूनिक आविष्कार था जिसने हमारे कई छोटे बड़े काम को आसान बना दिया और हमारे जीवन को और अधिक सहज बना दिया है । लेकिन बहुत ही कम समय में यह सबसे अधिक समस्याग्रस्त मुद्दों में से एक बन गया है, इसके अत्यधिक उपयोग से उत्पन्न होने वाली समस्या धीरे-धीरे इस धरती पर मानवता के अस्तित्व के लिए ही खतरा बन चुकी है। यह इसलिए भी संभव हो सका, क्योंकि हम मनुष्यों ने 15 वर्ष की अवधि में लगभग उतनी ही मात्रा में प्लास्टिक का उत्पादन या उपभोग किया है जितना हमने पहले लगभग 50 वर्षों में किया था।
यह तर्कपूर्ण है कि जनसंख्या में उसी अवधि में वृद्धि हुई है, जिसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्पादन और खपत में वृद्धि हुई है। लेकिन जिम्मेदार उपभोक्ताओं का टैग हम में से अधिकांश के साथ कभी नहीं जोड़ा जा सकता है क्योंकि , मनुष्य प्लास्टिक के दुष्प्रभावों से खुद को बचाने में आलसी और लापरवाह रहा है और साथ ही इसका निपटान या इसे प्रभावी तरीके से रिसाइकल भी करने में भी अबतक असफल ही है ।

इन सभी तर्कों और चर्चाओं के साथ, एक प्रमुख चिंता जिसे प्लास्टिक के बारे में संबोधित करने की आवश्यकता है, वह अभी भी सिंगल यूज प्लास्टिक का बेजा और बेलगाम इस्तेमाल है।
हालांकि भारत के बाहर कई देशों ने इस तरह के प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया है, पर मुझे ऐसा नहीं लगता कि निकट भविष्य में भारत उनके नक्शेकदम पर चलने वाला है। भारत के नागरिकों से अपील करने और उन्हें खुश करने के लिए केवल हंगामा या भावनाओं का विस्फोट किया जाता है जैसा कि हम राजनेताओं को देखते हैं। जलवायु परिवर्तन और भारतीयों पर होने वाले इसके प्रभाव के बारे में हमलोग चिंतित नहीं हैं।

कोई भी प्लास्टिक जो सिंगल यूज के इरादे से बनाया गया है वह सिंगल यूज प्लास्टिक है (कैरी बैग इस श्रेणी में नहीं आता है)। पैकिंग के लिए उपयोग किए जाने वाले सभी प्लास्टिक – दूध के पैकेट, चॉकलेट वेफर्स, बिस्किट के पैकेट, चिप्स के पैकेट आदि, और पेय या पानी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्लास्टिक की बोतलें सभी सिंगल यूज प्लास्टिक हैं। लगभग 40% प्लास्टिक का उत्पादन पैकिंग के लिए किया जाता है। इस विशाल समस्या का समाधान कैसे करें? इन सब पर पूर्ण प्रतिबंध निश्चित रूप से उत्पादक और उपभोक्ता दोनों को प्रभावित करने वाला है।
हमें छोटे -छोटे प्रयासों और प्रतिबंध को प्रभावी तौर पर लागू करने जरूरत है,यही एकमात्र रास्ता है। साथ ही कंपनी और सरकार दोनों को उपभोक्ताओं के प्रति प्रतिस्पर्धा की भावना के साथ सक्रिय रूप से कदम उठाने चाहिए।

ऐसा होने तक हम उपभोक्ताओं के पास भी करने के लिए बहुत कुछ है:

  1. पेय पदार्थों का सेवन करने के लिए प्लास्टिक स्ट्रॉ का उपयोग बंद करें। हम हमेशा उस रेस्तरां को बता सकते हैं जिससे हम ऑर्डर करते हैं कि हमें प्लास्टिक के स्ट्रॉ की आवश्यकता नहीं है। हमें यह समझना ही होगा कि प्लास्टिक के तिनके के रिसाइकल की संभावना कम से कम है।
  2. अपनी खुद की पानी की बोतलों का उपयोग करना और जरूरत पड़ने पर उन्हें फिर से भरना।
  3. पैक्ड उत्पादों का उपयोग कम से कम करना । निकटतम डेयरी या दूधवाले से दूध खरीदकर, एक बर्तन में दूध इकट्ठा करने का काम हम कर ही सकते हैं। ऐसा करने से हम पानी मिला हुआ दूध तो पा सकते हैं पर रसायनयुक्त दूध पीने से निश्चित ही बच जाएंगे।
  4. डिस्पोजेबल कप के उपयोग से बचने के लिए कार्यस्थल पर अपने स्वयं के कॉफी मग का उपयोग करना।
  5. पायलट पेन या फाउंटेन पेन का उपयोग करना। बॉल प्वाइंट पेन का कम से कम इस्तेमाल करें।
  6. प्लास्टिक पैकेजिंग को कम करने के लिए थोक में सामान खरीदना।
  7. बच्चों को घर की बनी चॉकलेट और कुकीज उपलब्ध कराना। रीसाइक्लिंग के लिए चॉकलेट वेफर्स और बिस्किट पैकेट कवर एकत्र करना।

व्यक्तिगत तौर पर भी हमें बहुत कुछ करना है यदि हम सच में कुछ करने की इच्छा रखते हैं। अंत में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण ये है की हमारा जीवन, हमारी श्रृष्टि और हमारी आने वाली नस्लों के लिए हम कितना सोचते हैं अगर हम एक जिम्मेदार नागरिक बन जाते हैं तो इसमें योगदान करने के लिए और भी बहुत कुछ है।

-Asim Jawad

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here