नागपुर: जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द द्वारा चलाया जा रहा है कोविड हेल्थ सेंटर; देवेंद्र फड़नवीस ने...

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ऐसे समय में जब सरकारें कोरोना वायरस की दूसरी लहर से न सिर्फ़ ये कि अपनी जनता को बचाने में नाकाम रही हैं, बल्कि...

सपनों की उड़ान (लघुकथा)

सपनों की उड़ान (लघुकथा) सहीफ़ा ख़ान ट्रेन अपनी रफ़्तार पकड़ चुकी थी। अब तो शहर भी आंखों से ओझल होता जा रहा था। वह सीट के...

दूसरा रास्ता (लघुकथा)

दूसरा रास्ता (लघुकथा) सहीफ़ा ख़ान दो मिनट पहले तक ख़ुशी में झूम रही सीमा अब दहशत में सुनसान सड़क पर अपनी ट्रॉफ़ी हाथ में लिए भाग...

बजरंग दल की जलाभिषेक यात्रा बनी नूह में हिंसा की वजह

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राजधानी दिल्ली से सटा हरियाणा राज्य हिंसा की चपेट में है। हरियाणा के विभिन्न इलाक़ों से आने वाले कई वीडियोज़ सोशल मीडिया पर गर्दिश कर रहे हैं जिनमें यह साफ़ देखा जा सकता है कि हिंसा जान-बूझकर भड़काई जा रही है। फ़िलहाल कुछ इलाक़ों में धारा 144 लागू है और कुछ जगहों पर पूरी तरह कर्फ़्यू लगा दिया गया है। साथ ही भारी मात्रा में पुलिस बल भी तैनात किया गया है।

बटला हाउस ‘फ़र्ज़ी’ एनकाउंटर के 13 साल

बटला हाउस ‘फ़र्ज़ी’ मुठभेड़ को 13 बरस बीत चुके हैं। 19 सितंबर, 2008 को दिल्ली में हुए पांच सीरियल बम धमाकों में 30 लोग...

हमें उमर ख़ालिद को क्यों याद रखना चाहिए?

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ऐसे समय में जब यह सत्ता मिथकों को तथ्यों में बदलने के लिए इतनी मेहनत कर रही है, हमारी लौकिक और स्थानिक वास्तविकताओं को बदलने के लिए शहरों और सड़कों का नाम बदल रही है और कायरों को स्वतंत्रता सेनानियों की तरह मना रही है, हमारा प्रतिरोध हमारे याद रखने में निहित है।

[पुस्तक समीक्षा] बाइज़्ज़त बरी: साज़िश के शिकार बेकुसूरों की दास्ताँ

पुस्तक का नाम: बाइज़्ज़त बरी? - साज़िश के शिकार बेकुसूरों की दास्ताँ लेखक: मनीषा भल्ला, डॉ. अलीमउल्लाह ख़ान प्रकाशक: भारत पुस्तक भंडार प्रकाशन वर्ष: 2021 भाषा: हिन्दी पृष्ठ: 296 समीक्षक:...

धारा 370 को हटाना भारतीय लोकतन्त्र तथा संविधान पर करारा प्रहार: एसआईओ

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अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर के लोगों को दिए गए और अधिकारों का हनन भारतीय लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों पर एक तमाचा...

ये वक़्त ख़ुदा की तरफ़ पलटने का है

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पिछले कुछ दशकों में इंसान ने जो तरक़्क़ी की है, उतनी तरक़्क़ी पिछली कई सदियों में भी नहीं हुई। भौतिक सुख-सुविधाओं से सुसज्जित जीवन,...

लीपापोती का पर्दाफ़ाश करती है गुजरात फ़ाइल्स

इस किताब को पढ़ते हुए आप समझ सकेंगे कि जिसे ‘गुजरात प्रयोग’ कहा जाता है वह दरअसल क्या है! और वह भी प्रदेश के सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकारियों के मुँह से। जिसे हम गुजरात प्रयोग कहते हैं, उसका मतलब मुसलमानों के ख़िलाफ़ दलित और पिछड़ी जातियों को गोलबंद कर देना था। सामान्यतः इसके पहले के दंगों में दलित और पिछड़ी जातियाँ दंगों से लुटती-पिटती भले रही हों, लेकिन इसमें सक्रिय रूप से सहभागी नहीं होती थीं। गुजरात में पहली बार इनका मुसलमानों के ख़िलाफ़ उपयोग किया गया।