आधुनिक दौर की आनंददायी ग़ुलामी

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प्राचीन दासता प्रणाली से कोसों दूर एक ऐसी व्यवस्था भी है जो एक सुखी दास का निर्माण करती है। एक ऐसा अनुबंध जिसे स्वयं ग़ुलाम भी नहीं तोड़ना चाहता। और अगर वह इसे तोड़ भी देता है, तो अपने जीवन की अनेक असुरक्षाओं का मारा एक नया ग़ुलाम उसकी जगह ले लेता है। हाँ! मैं आधुनिक रोज़गार प्रणाली के बारे में बात कर रहा हूँ - 21वीं सदी के मनुष्य के लिए एक भ्रष्ट, जानलेवा लेकिन सुखदायक प्रणाली।

तुग़लकाबाद में अतिक्रमण हटाने के नाम पर चला बुल्डोज़र, हज़ारों लोग बेघर

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2016 में सर्वोच्च न्यायालय ने ASI से अवैध अतिक्रमण को रोकने के लिए कहा था, जिसका हवाला देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस साल फ़रवरी में ASI से इन मामलों में जल्द कार्रवाई करने को कहा। हालांकि न्यायालय ने यह भी कहा था कि वहां रह रहे लोगों के लिए पहले कोई व्यवस्था की जाए, लेकिन लोगों का कहना है कि प्रशासन की तरफ़ से कोई व्यवस्था नहीं की गई।

धार्मिक स्वतंत्रता, धर्मांतरण और राज्य

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राज्य का कोई धर्म न होना और प्रशासनिक कार्यों में धर्म का प्रत्यक्ष रूप से दख़ल न होना भी धार्मिक स्वतंत्रता क़ायम रखने के लिए ज़रूरी है। यदि राज्य ने बहुलतावादी समाज में किसी एक धर्म को सरकारी धर्म का दर्जा दिया और यदि विधि निर्माण और प्रशासनिक फ़ैसले किसी विशेष धर्म के आधार पर होने लगे या सरकारों को किसी विशेष धर्म की रक्षा अथवा प्रचार की चिंता होने लगे, तो अन्य धर्मों व दर्शनों की आज़ादी का दायरा तंग होने लगेगा और नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता ख़तरे में पड़ जाएगी।

फ़ेक न्यूज़ : सियासत और साम्प्रदायिकता की ‘नई’ तकनीक – २

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फ़ेक न्यूज़ : वैश्विक परिदृश्य ऑनलाइन व डिजिटल मंचों पर फ़ेक न्यूज़ का प्रसार बहुत तेज़ होता है। विभिन्न शोधपत्रों में यह दावा किया गया...

पर्यावरण बचाने की बहसों के बीच एक समग्र आख्यान

आधुनिक मनुष्य की प्रवृत्ति ही प्रकृति से युद्ध करने की बन चुकी है। वह लूट-खसोट कर रहा है, जो कुछ भी पा रहा है, जितना चाहे उसे तबाह कर रहा है। मनुष्य महासागरों की गहराई और पहाड़ों की ऊंची चोटियों से लेकर धरती के सबसे गहरे क्षेत्रों तक को लूट रहा है। इन सभी हादसों का मूल कारण हमारा दृष्टिकोण है।

जब मुहाफ़िज़ ही लुटेरे बन जाएं!

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पिछले दस सालों में इस देश में मुसलमानों के ख़िलाफ़ जितनी नफ़रत फैलाई गई है और जितना उत्पीड़न हुआ है, उतना आज़ादी के बाद के 75 सालों में नहीं देखा गया। मॉब लिंचिंग के नाम पर मुसलमानों का उत्पीड़न और हत्या आम होती जा रही है। मुसलमानों के ख़िलाफ़ अपराधों में लगातार बढ़ोतरी भाजपा शासित राज्यों में ही हो रही है।

‘तंत्र’ के सामने ‘गण’ को मज़बूत होना पड़ेगा

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‘हिंदुत्व ख़तरे में है’, का नारा लगाते हुए वो आपके पास आए और आपने उन्हें सत्ता सौंप दी। उन्होंने बताया कि आपके पड़ोस में...

दक्षिणपंथ का वैश्विक उभार लोकतांत्रिक मूल्यों और समावेशी संरचना के लिए ख़तरा

भारत जैसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में दक्षिणपंथी पार्टी का वर्चस्व लोकतंत्र के लिए ख़तरा माना जा रहा है, जहां देश की विभिन्नता पर कुठाराघात करते हुऐ समान नागरिक संहिता जैसा क़ानून लाने की चर्चा चल रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने MediaOne TV से प्रतिबंध हटाया, केंद्र को सुनाई खरी-खरी

सुप्रीम कोर्ट ने MediaOne TV को सिक्योरिटी क्लियरेंस के अभाव में अपने प्रसारण लाइसेंस को नवीनीकृत करने से इनकार करने के सूचना मंत्रालय के आदेश को रद्द कर दिया है। साथ ही, इसने मंत्रालय को चार सप्ताह के भीतर चैनल को नवीनीकरण लाइसेंस जारी करने का निर्देश भी दिया है। कोर्ट ने कहा है कि चैनल के प्रसारण लाइसेंस के नवीनीकरण से इन्कार करने के लिए सरकार के पास उचित आधार नहीं हैं।

कुश्ती के रिंग से सड़कों तक की लड़ाई

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जिस दिन नये संसद भवन का उद्घाटन बड़ी धूमधाम से हो रहा था, देश के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाली महिला पहलवानों को बेरहमी के साथ विरोध प्रदर्शन से उठाकर पुलिस की गाड़ियों में जबरन धकेला जा रहा था। इन दृश्यों ने लोकतंत्र के प्रति सत्ताधारी अभिजात वर्ग की सोच को उजागर किया।